आरबीआई की नीतिगत दरों में इजाफे पर उद्योग जगत की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
08-Jun-2022 11:33 PM 7330
नयी दिल्ली, 08 जून (AGENCY) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने महंगाई को काबू में करने के लिए लगातार दूसरे महीने नीतिगत दरों में बढोतरी की है, जिससे आम लोगों के लिए घर, कार और अन्य ऋणों की किस्तों में वृद्धि होगी तथा ऋण महंगे हो जायेंगे। आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में एमपीसी की हुयी तीन दिवसीय बैठक के बाद बुधवार को जारी बयान में कहा गया कि सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है। महंगाई तथा रुस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण वैश्विक स्तर अनिश्चितता बढ़ी है और इससे आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर हुआ है, जिसके कारण दुनिया भर में महंगाई बढ़ी है। भारत पर भी उसका असर हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुयी है और केंद्रीय बैंक इसकी वृद्धि में समर्थन देता रहेगा। आरबीआई की समिति ने रेपाे दर को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत करने के साथ ही स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी दर को भी आधी फीसद बढ़ाकर 4.65 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी को इतनी ही बढ़ाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया है। मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी निश भट्ट ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने फिर से दरों में बढ़ोतरी की है जो दो महीनों लगातार दूसरी बार है। इससे पहले आरबीआई शायद ही कभी दरों पर इतना आक्रमक रहा है। रेपो दर में बढ़ोतरी की मात्रा बाजार की उम्मीद के ऊपरी हिस्से पर थी। नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद पहले से ही थी। सरकार ने घरेलू मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास किए हैं जैसे खाद्य निर्यात प्रतिबंध और उत्पाद शुल्क में कटौती। लेकनि लंबे समय तक युद्ध और वैश्विक कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि अभी भी चिंतापूर्ण है। मोतीलाल ओसवाल रियल एस्टेट फंड के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शरद मित्तल ने बताया कि जिंसों की कीमतों पर मुद्रास्फीति के दबाव और प्रतिकूल आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं के बावजूद मांग में मजबूत वृद्धि जारी है। आरबीआई ने अपनी पिछली दो एमपीसी बैठकों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी बढ़ती महंगाई को काबू में रखने के लिए की है। आरबीआई ने ग्रामीण सहकारी बैंकों को आवासीय आवास परियोजनाओं के लिए ऋण देने की अनुमति दी है। जिससे इस क्षेत्र में आवश्यक तरलता में सुधार करने में मदद मिलेगी। एमओएफएसएल समूह के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि यह बढ़ोतरी पूर्वानुमान से अधिक है और बाजार की सहमति 0.4-0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के लिए थी। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है, जबकि जीडीपी वृद्धि अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।...////...
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