27-Mar-2022 08:19 PM
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पटना 27 मार्च (AGENCY) केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने रविवार को कहा कि आधुनिक भारत के सर्वश्रेष्ठ धार्मिक एवं ऐतिहासिक उपन्यासकार डाॅ. भगवती शरण मिश्र का साहित्य ही नहीं बल्कि उनका व्यक्तित्व भी प्रेरणादायक है।
श्री चौबे ने यहां बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में डॉ. मिश्र की प्रथम जयंती पर
आयोजित ‘जयंती-समारोह एवं कवि सम्मेलन’ का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा,“डॉ. मिश्र का जीवन-आदर्श और आचरण में उतारने योग्य है। भले ही आज वह हमारे बीच नहीं हों, किंतु उनकी अविनाशी आत्मा सदैव हमारा मार्ग दर्शन करती रहेगी।”
श्री चौबे ने यह भी आश्वस्त किया कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से डाॅ़ मिश्र को मरणोपरांत पद्म-सम्मान से अलंकृत करने का आग्रह करेंगे।
सम्मेलन के अध्यक्ष डाॅ़ अनिल सुलभ ने पूर्व जिलाधिकारी (शिवहर,बिहार) एवं लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “ संयुक्त निदेशक (राजभाषा ,रेलवे बोर्ड) और निदेशक राजभाषा,बिहार सरकार, सहित अनेक प्रशासनिक पदों पर मूल्यवान सेवाएं देने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और साहित्यकार डाॅ. भगवती शरण मिश्र आधुनिक काल में हिन्दी के अग्र-पांक्तेय उपन्यासकार थे। ‘पीतांबरा’, ‘पवनपुत्र’, ‘अग्नि-पूरुष’, ‘पुरुषोत्तम’, ‘मैं राम बोल रहा हूँ’, ‘देख कबीरा रोया’, ‘अरण्या’, ‘लक्ष्मण रेखा’, ‘पद्म नेत्र’ जैसे वैदुष्यपूर्ण कई उपन्यासों, कथा-संग्रहों और आलोचना ग्रंथों से हिन्दी का भंडार भरने वाले मिश्र जी ने अपने साहित्य से भारतीय वांगमय के रहस्यमय अंशों को उजागर करने का अद्वितीय और ऐतिहासिक कार्य किया है।”
सम्मेलन की अध्यक्षयता करते हुए उन्होंने कहा,“ डाॅ़ मिश्र से तब से आत्मीय संबंध बना जब वह नवसृजित ज़िला शिवहर के प्रथम ज़िलाधिकारी बन कर आए थे। उनके साथ लेखन करने का एक सुखद अनुभव आज भी स्मरण रहता है। उनके साहित्य को पढ़कर ही उनके विराट साहित्यिक व्यक्तित्व को समझा जा सकता है।”
डाॅ़ सुलभ ने घोषणा की कि अगले वर्ष से, प्रत्येक वर्ष बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से देश के एक मनीषी साहित्यकार को 'डा भगवती शरण मिश्र स्मृति-सम्मान' तथा एक विदुषी को, उनकी पुण्यवती पत्नी कौशल्या मिश्र की स्मृति में एक-एक लाख रूपए के पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
महावीर मंदिर न्यास के सचिव एवं भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने कहा ,“भगवती बाबू हिन्दी के बहुत बड़े लेखक थे। किंतु उन्हें वह स्थान नही मिल पाया, जिसके वह अधिकारी थें। ‘पवन पुत्र’ नामक उनकी कृति भगवान हनुमान के ऊपर लिखी गई हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ रचना है। एक व्यस्त अधिकारी होकर भी उन्होंने जो विपुल साहित्य की रचना की वह एक बड़ा तपस्वी ही कर सकता है।”
पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार, पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, कल्याणी कुसुम सिंह, वरीय अधिवक्ता रवींद्र कुमार चौबे, वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र, डाॅ़ मिश्र के पुत्र श्री जनार्दन मिश्र, पुत्रियाँ- राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अधिवक़्ता छाया मिश्रा, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया में चीफ सब एडिटर एवं वरिष्ठ संवाददाता डॉ़ आशा मिश्रा उपाध्याय और संयुक्त राष्ट्र संघ में वरिष्ठ सलाहकार उषा मिश्र ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।
इस अवसर पर एक कवि सम्मेलन भी संपन्न हुआ, जिसमें वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’, रामनाथ राजेश, डाॅ़ सुमेधा पाठक, डाॅ, उमा शंकर सिंह, जय प्रकाश पुजारी, अशोक कुमार, शुभचंद्र सिन्हा, पं गणेश झा, डाॅ़ आर प्रवेश, मीना कुमारी परिहार, डाॅ़ बबीता ठाकुर, डाॅ़ विनय कुमार विष्णुपुरी, प्रदीप पाण्डेय, अर्जुन प्रसाद सिंह, रमेश पाठक, मुकेश कुमार ओझा, मंजु भारती, उपेन्द्र नारायण पाण्डेय, संजय कुमार अम्बष्ट आदि कवियों ने अपनी गीति-रचनाओं से डाॅ. मिश्र को काव्यांजलि अर्पित की। इस मौके पर डॉ. मिश्र के दूसरे पुत्र डॉ. दुर्गा शरण मिश्र (सहायक महाप्रबंधक, राजभाषा ,भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ,कोलकाता) की कविता के रूप में पिरोई गई श्रद्धांजलि भी पढ़ी गई। लेखक के तीसरे पुत्र रोहित मिश्र की ओर से अपने पिता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित ऑडियो को चलाया गया। साथ ही,रोहित मिश्र की ओर से उनके सम्मान में गाए एक गीत भी प्रस्तुत किया गया।...////...