15-Oct-2024 08:09 PM
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नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (संवाददाता) कांची कामकोटि पीठ के प्रतिनिधि अंशुमान राव ने मंगलवार को कहा कि कांची कामकोटि मठ अयोध्या में दो नवंबर से 28 दिसंबर तक होने जा रहे सहस्र चंडी विश्व शांति महायज्ञ जैसे धार्मिक-अध्यात्मिक पहल को केवल भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण और शांति के लिए अपरिहार्य मानता है।
श्री राव ने कहा कि वास्तव में राम राज्य की अवधारणा ही विश्व शांति का मूल है और कांची मठ का अयोध्या की सनातन अध्यात्मिक चेतना से यह जुड़ाव नया नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है। उन्होंने कहा कि कांची की देवी कामाक्षी शक्ति पीठ भगवान राम की कुल देवी हैं और राजा दशरथ ने अयोध्या से यहां आकर पूजा की थी, जो इस जुड़ाव का प्रतीक है। राम मंदिर आंदोलन की लंबी संघर्ष यात्रा से लेकर अयोध्या में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांची पीठ हर महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षणों के पहलुओं से जुड़ा रहा है।
उन्होंने यहां इस महायज्ञ को लेकर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आदि शंकराचार्य का कांची कामकोटि मठ मूल पीठ के वर्तमान 70वें पीठाधिपति परम पावन शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती के मार्गदर्शन में निरंतर अपनी भूमिका निभा रहा है और कांची मठ की इसी गंभीरता का संदेश देने के लिए विश्व शांति महायज्ञ के प्रबल समर्थन के लिए उसके प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद हूं। उन्होंने कहा कि 1987 में अयोध्या मंदिर का ताला खुलवाने की पहल में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समझाने में महापेरियावा (जगद्गुरु श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य महास्वामीगल) की अहम भूमिका रही थी। उस समय बाबरी पक्ष से जुड़े नेता और सांसद शहाबुद्दीन उनसे चर्चा के लिए मिलने आए थे। उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अनुरोध पर कांची के 69 वें शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र जी ने भी बातचीत से समाधान निकालने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि कांची और अयोध्या के मजबूत रिश्ते का एक शानदार उदाहरण यह है कि राम मंदिर के भूमि पूजन में धरती माता को चढ़ाई गई वास्तु सामग्री कांची मठ द्वारा भेजी गई थी और स्वामी विजयेंद्र सरस्वती की धार्मिक सलाह के अनुसार पवित्र ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह किया गया था।...////...