भारत - जापान साझेदारी हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण: राजनाथ
20-Aug-2024 10:26 PM 1967
नयी दिल्ली 20 अगस्त (संवाददाता) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र से भारत और जापान दोनों के हित गहरायी से जुड़े हैं और इनकी साझेदारी क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। श्री सिंह ने विदेश मंत्री डा एस जयशंकर के साथ जापान के रक्षा मंत्री मिनोरू किहारा तथा विदेश मंत्री योको कामिकावा के साथ यहां हुई तीसरी टू प्लस टू वार्ता के बाद कहा कि दोनों देशों का हिन्द प्रशांत को लेकर साझा विजन है और इनकी साझेदारी इस क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंंने कहा,“आज हमारी चर्चा के दौरान, हमने परस्पर हित के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों के बारे में चर्चा की। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण हितधारक होने के नाते, भारत और जापान कई मायनों में इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण संरक्षक हैं। इसलिए यह भागीदारी हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। ” उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर तालमेल और साझा नजरिया मजबूत हुआ है। भारत, आसियान और जापान सहित अन्य देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए ‘एडीएमएम प्लस’ का एक सक्रिय सदस्य है। उन्होंने कहा कि बैठक में दोनों पक्षों ने क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने तथा सार्थक परिणामों पर पहुंचने के लिए एक-दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने की अपनी वचनबद्धता को व्यक्त किया है। श्री सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में भी कहा,“अपने जापानी समकक्ष किहारा मिनाेरू के साथ शानदान बैठक की। हमने भारत जापान संबंधों की विस्तार से समीक्षा की और दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ बनाने पर सहमति व्यक्त की। हमने परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।” रक्षा मंत्री ने कहा कि यह वर्ष भारत और जापान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपनी विशेष वैशिवक सामरिक साझेदारी की स्थापना के 10 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने दोनों देशोंं के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर पिछले एक दशक मेें हुई प्रगति पर भी प्रसन्नत व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बैठकों के परिणाम अपेक्षाओं से भी अधिक रहे हैं। यह दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच बेहतरीन तालमेल के कारण ही संभव हो पाया है। श्री सिंह ने कहा कि वर्ष 2023 रक्षा संबंधों में एक मील के पत्थर के रूप में साबित हुआ। उन्होंने कहा,“हमारे रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2047 में जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहे होंगे, उसके लिए हमने विकसित भारत का विजन रखा है। आत्मनिर्भर भारत को प्राप्त करने के लिए घरेलू रक्षा क्षमता का निर्माण इस विजन का एक अभिन्न अंग है।...////...
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