भारतीय इतिहास को विकृत किया गया: धनखड़
01-Dec-2024 07:48 PM 8868
नयी दिल्ली 01 दिसंबर (संवाददाता) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि भारतीय इतिहास को विकृत किया गया है और कुछ लोगों का एकाधिकार बनाया गया है। श्री धनखड़ ने यहां राजा महेंद्र प्रताप की 138वीं जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे इतिहास की किताबों ने हमारे नायकों के साथ अन्याय किया है। हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है और कुछ लोगों का एकाधिकार बना दिया गया है कि उन्हीं के कारण हमें स्वतंत्रता मिली। उन्होंने कहा,“यह हमारी अंतरात्मा पर एक असहनीय पीड़ा है। यह हमारे दिल और आत्मा पर एक बोझ है और मुझे यकीन है कि हमें इसमें बड़ा बदलाव लाना होगा। इससे कोई बेहतर अवसर नहीं हो सकता था जब उस समय वर्ष 1915 में पहले भारत सरकार का गठन हुआ था।” श्री धनखड़ ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप एक जन्मजात कूटनीतिज्ञ, एक जन्मजात राजनेता, एक दूरदर्शी और एक राष्ट्रवादी थे। उन्होंने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप ने राष्ट्रीयता, देशभक्ति और दूरदर्शिता का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने आचरण के माध्यम से दिखाया कि राष्ट्र के लिए क्या किया जा सकता है। स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की उपेक्षा पर दुःख व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने कहा,“यह क्या अन्याय है, यह क्या त्रासदी है। हम अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में हैं। हम इस महान व्यक्ति की ऐसी वीरता को पहचानने में असफल रहे हैं। हमारे इतिहास ने उन्हें वह स्थान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। यदि आप हमारे स्वतंत्रता संग्राम की नींव को देखें, तो हमें बहुत अलग तरीके से सिखाया गया है। हमारी स्वतंत्रता की नींव उन लोगों की सर्वोत्तम बलिदानों पर बनी है, जैसे राजा महेंद्र प्रताप सिंह और अन्य गुमनाम नायक।” उन्होंने कहा कि इन गुमनाम नायकों को उचित सम्मान नहीं मिला। उप राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1932 में इस महान आत्मा और महान दूरदर्शी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। इतिहास लेखन के तरीके पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए उप-राष्ट्रपति ने कहा,“हम अपने इतिहास को उन लोगों को कृपा और चापलूसी करने वालों पर नहीं छोड़ सकते। हम अपने नायकों को छोटा नहीं कर सकते।” उन्होंने कहा कि यह अनिवार्य है कि हम बिना किसी रुकावट के ऐतिहासिक घटनाओं को प्रस्तुत करें ताकि इस पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित किया जा सके। कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को पर्याप्त महत्व नहीं मिलने पर सवाल उठाते हुए श्री धनखड़ ने कहा,“वर्ष 1913, जब जलियांवाला बाग से बहुत पहले, 1507 आदिवासी ब्रिटिश गोलियों का शिकार बने थे। ब्रिटिशों की ऐसी बर्बरता, और महाराजा सूरज मल, राजा महेंद्र प्रताप सिंह की देशभक्ति की गाथाओं को क्यों उचित स्थान नहीं मिला? ये घटनाएं इतिहास में क्यों नहीं हैं?” कुछ योग्य शख्सियतों को भारत रत्न देने में हुई देरी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा,“डॉ. भीमराव अंबेडकर को वर्ष 1990 में भारत रत्न मिला। क्यों? देरी क्यों हुई? कल्पना कीजिए उस मानसिकता को। मुझे संसद सदस्य और मंत्री होने का सौभाग्य मिला। और फिर हाल ही में, चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न मिला। वे हमारे दिलों में रहते हैं, हमारे दिमाग पर उनका प्रभाव है। वे किसान में विश्वास रखते थे, वे ग्रामीण भारत में विश्वास रखते थे। फिर, यह मेरा सौभाग्य था कि मैं उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में इन दो महान आत्माओं के साथ जुड़ा था। इन दो महान आत्माओं को भारत रत्न दिया गया।” उन्होंने कहा कि लंबे समय तक उन लोगों की अनदेखी की है जिन्होंने हमारे मार्गदर्शक बने। सच्चे मायने में उन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान किया है। अब जनजातीय दिवस मनाना शुरू किया गया है। बिरसा मुंडा की जयंती पर पराक्रम दिवस मनाया गया। राजा महेंद्र प्रताप तो उनसे पहले थे, एक तरीके से वह थे जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना की शुरुआत की थी।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - mpenews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^