10-Apr-2022 11:01 PM
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कोहिमा 10 अप्रैल (AGENCY) नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने रविवार को कहा कि जो हिंदी नहीं जानता है और उन लोगों को अगर केंद्र सरकार द्वारा हिंदी सीखने में सक्षम बनाने के प्रयास किए बिना ही उन पर हिंदी थोपी जाती है, तो अलगाव की स्थिति पैदा होगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सात अप्रैल के बयान (हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए, न कि स्थानीय भाषाओं को) पर एनपीएफ के अध्यक्ष शुरहोजेली लीजित्सु ने कहा कि 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने नयी दिल्ली में कहा था कि शिक्षा में शुरू से पीजी स्तर तक हिंदी का प्रयोग किया जाना चाहिए। तब नागालैंड ने कहा था कि नागालैंड में यह संभव नहीं है। जिसपर प्रधानमंत्री देसाई ने पूछा कि ऐसा क्यो नहीं हो सकता है, तब नागालैंड ने कहा था कि हम हिंदी सीखना चाहते हैं लेकिन हम नागा लोग हिंदी नहीं जानते हैं क्योंकि हमें कोई सिखाता ही नहीं है।
उस समय कहा गया था कि नागालैंड में हिंदी शिक्षक ज्यादातर असम रेजीमेंट के भूतपूर्व सैनिक हैं। इसलिए, यदि आप (प्रधानमंत्री) नागालैंड आते हैं, तो आप हमारी हिंदी को उतना नहीं समझ सकते हैं, जितना हम आपकी हिंदी को दिल्ली में नहीं समझ सकते हैं।
एनपीएफ अध्यक्ष ने कहा कि आज 40 साल बाद भी नागालैंड उसी जगह पर खड़ा है क्योंकि हमें भाषा के विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मली, चाहे दिल्ली में कोई भी दल सत्ता में हो।
उन्होंने कहा,“हम हिंदी के खिलाफ नहीं है लेकिन हम इस समय नागालैंड में अंग्रेजी के विकल्प के रूप में हिंदी का उपयोग करने के लिए सहमत नहीं हो सकते क्योंकि यह पूरी तरह से असंभव है। यह जमीनी हकीकत है और फिलहाल हमें कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है।...////...