28-Oct-2024 06:37 PM
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भुवनेश्वर, 28 अक्टूबर (संवाददाता) ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर दोनों तरीकों को लागू किया है।
श्री माझी ने भ्रष्टाचारियों में जेल का डर पैदा करने के लिए दीर्घकालिक अभियान की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा,“भ्रष्टाचार के लिए सिर्फ एक या कुछ व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करना पर्याप्त नहीं है।” उन्होंने कहा,“भ्रष्ट लोगों को अपने कार्यों के परिणामों के बारे में सोचकर नींद खोनी होगी।”
उन्होंने यहां राज्य स्तरीय भ्रष्टाचार विरोधी जागरूकता सप्ताह - 2024 में बोलते हुए कहा कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा,“भ्रष्टाचार विरोधी अभियान स्थायी होना चाहिए, ताकि यह भ्रष्ट आचरण के लिए एक शक्तिशाली निवारक के रूप में काम करे।”
श्री माझी ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं और इसे एक दिन, एक महीने या एक साल में खत्म नहीं किया जा सकता, इसके लिए निरंतर प्रयास और सतर्कता की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार की तुलना मधुमेह से करते हुए उन्होंने कहा, “मधुमेह की तरह, भ्रष्टाचार भी तुरंत अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता है, लेकिन समय के साथ यह व्यक्तियों और समाज को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।”
भारतीय समाज में भ्रष्टाचार की व्यापक प्रकृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था, “मैंने दिल्ली से एक रुपया भेजा और लाभार्थी को केवल 15 पैसे मिले।”
श्री माझी ने सवाल किया, “बाकी 85 पैसे कहां गए? हम सभी इसका जवाब जानते हैं।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता से प्रेरित राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अपना प्राथमिक लक्ष्य बनाया है और जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है।”
भ्रष्टाचारियों को चेतावनी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा,“जैसे कैंसर को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाया जाता है, वैसे ही भ्रष्ट व्यक्तियों को समाज से निकाल कर जेल भेजा जाएगा।” उन्होंने बताया कि उनके प्रशासन के पहले 140 दिनों के भीतर छह प्रमुख अधिकारियों को गबन के आरोप में गिरफ्तार किया गया, उनकी संपत्ति जब्त की गई और उन पर मुकदमा चलाया गया। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के आरोप में एक मुख्य अभियंता सहित लगभग 20 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई राजधानी भुवनेश्वर में सार्वजनिक सेवा भवनों से आगे बढ़कर जमीनी स्तर तक पहुंच गई है। माझी ने कहा कि जिला अधिकारियों को अब अपने अधिकार क्षेत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की सजा दर 50 प्रतिशत से अधिक है और राज्य सरकार प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों को बढ़ाकर ओडिशा सतर्कता को मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है।
उन्होंने घोषणा की कि सतर्कता जांच, निगरानी और अभियोजन का समर्थन करने के लिए पुलिस अधीक्षक (एसपी) के आठ नए अतिरिक्त पद और 24 नए डीएसपी पद सृजित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, जांच में सहायता के लिए छह उप-निरीक्षकों की भर्ती की जाएगी। विभाग को मजबूत करने के लिए 24 चार्टर्ड अकाउंटेंट और बैंकिंग तथा साइबर विशेषज्ञों को जोड़ा जाएगा। सतर्कता दल को 135 नई मोटरसाइकिल, 150 नए डेस्कटॉप और लैपटॉप और निदेशालय के भीतर एक नई राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से भी लैस किया जाएगा। माझी ने 2014 से भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी के रुख की प्रशंसा की, याद करते हुए कि कैसे देश भ्रष्टाचार के घोटालों से भरा हुआ था, जिससे जनता का मोहभंग हो गया था।
श्री माझी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सीधी कार्रवाई ने सुनिश्चित किया है कि दिल्ली से सहायता बिना किसी लीकेज के लाभार्थियों तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) कार्यक्रम को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ‘महत्वपूर्ण हथियार’ बताया। उन्होंने कहा,“भ्रष्टाचारियों के पास केवल दो विकल्प हैं, जेल या निर्वासन। यहां तक कि विदेश में भी वे सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि सरकार ने उन्हें वापस लाने और कानून के तहत उन पर मुकदमा चलाने की व्यवस्था की है।” इस अवसर पर माझी ने अधिकारियों को ईमानदारी की शपथ दिलाई और सभी से भ्रष्टाचार का डटकर विरोध करने की शपथ लेने का आग्रह किया।...////...