बिहार का राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा बढ़ा : कैग
25-Jul-2024 09:04 PM 2443
पटना 25 जुलाई (संवाददाता) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाया कि पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार का राजस्व घाटा 422.38 करोड़ रुपये से बढ़कर 11,288.20 करोड़ रुपये हो गया वहीं राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2021-22 के 25,551.26 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 44,823.30 करोड़ रुपये हो गया, जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 5.97 प्रतिशत है। उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने गुरुवार को विधानसभा में वित्त विभाग की ओर से 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष में राज्य वित्त पर कैग ऑडिट रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान बिहार सरकार 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित और बजट अनुमानों में निर्धारित राजस्व अधिशेष और राजकोषीय घाटे के जीएसडीपी अनुपात को हासिल नहीं कर पाई। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए राज्य का कुल बजट 3,01,686.46 करोड़ रुपये था लेकिन वह केवल 2,35,176.84 करोड़ रुपये (कुल बजट का 77.95 प्रतिशत) ही खर्च कर सकी और कुल बचत 66,509.62 करोड़ रुपये में से 20,526.71 करोड़ रुपये (30.86 प्रतिशत) सरेंडर कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018-23 के दौरान जीएसडीपी अनुपात में बकाया देयता 31.99 प्रतिशत से 40.05 प्रतिशत तक रही। पिछले पांच वर्षों के दौरान राज्य की कुल देयता बढ़ी है। प्रमुख घटक बाजार उधार सहित आंतरिक देयता (चालू वर्ष के दौरान 70.95 प्रतिशत) थी। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य की देनदारियों में इसके पिछले वर्ष के 10.03 प्रतिशत की तुलना में 7.83 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आंतरिक ऋण ने कुल बकाया देनदारियों में 58.65 प्रतिशत का योगदान दिया। आंतरिक ऋण के तहत देनदारियों में पिछले वर्ष के 14.60 प्रतिशत (23,297.82 करोड़ रुपये) की तुलना में 13.80 प्रतिशत (25,242.78 करोड़ रुपये) की शुद्ध वृद्धि हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व व्यय वित्तीय वर्ष 2018-19 के 1,24,897 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 23.66 प्रतिशत) से बढ़कर 2022-23 में 1,83,976 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 24.48 प्रतिशत) हो गया। यह लगातार कुल व्यय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (84.57 से 90.67 प्रतिशत) रहा और 12.60 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ा। वित्तीय वर्ष 2018-19 (36.85 प्रतिशत) से 2022-2023 (34.30 प्रतिशत) की अवधि के दौरान ब्याज भुगतान, वेतन और पेंशन पर प्रतिबद्ध व्यय राजस्व व्यय का 34.30 से 38.66 प्रतिशत रहा। प्रतिबद्ध व्यय 9.0 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ा, यानी 2018-19 में 46,021.46 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 63,107.43 करोड़ रुपये हो गया। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य के जीएसडीपी में पिछले वर्ष की तुलना में 15.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई और राज्य की राजस्व प्राप्तियों में पिछले वर्ष की तुलना में 8.75 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, वर्ष 2022-23 के दौरान राजस्व व्यय को पूरा करने के लिए राज्य को पिछले वर्ष की तुलना में अधिक धनराशि (19.38 प्रतिशत वृद्धि) उधार लेनी पड़ी। राजस्व व्यय में पिछले वर्ष की तुलना में 15.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई और पिछले वर्ष एक मुकाबले 2021-22 में दर्ज 14.14 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में सकारात्मक वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय करों, शुल्कों और कर राजस्व में राज्य के हिस्से का योगदान क्रमशः 4.55 प्रतिशत (4,157.23 करोड़ रुपये) और 26.29 प्रतिशत (9,163.19 करोड़ रुपये) बढ़ा। केंद्र सरकार से गैर-कर राजस्व और अनुदान सहायता में भी मामूली वृद्धि हुई है। इसमें क्रमश: 3.78 प्रतिशत (150.56 करोड़ रुपये) और 1.47 प्रतिशत (419.71 करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान पूंजीगत प्राप्तियां भी 20,493 करोड़ रुपये से बढ़कर 48,325 करोड़ रुपये हो गई हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में पूंजीगत व्यय 2.11 प्रतिशत से 4.19 प्रतिशत के बीच रहा है। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इसमें 0.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राज्य का बजट परिव्यय (व्यय) 2018-19 में 1,60,317.66 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2,35,176.84 करोड़ रुपये हो गया।...////...
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