बिहार में गूंज रहे हैं छठी मैया के गीत
05-Nov-2024 12:32 PM 5720
पटना,05 नवंबर (संवाददाता) लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है।लोकआस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया है। महापर्व छठ को लेकर बिहार में चहल-पहल दिखने लगी है। लोग छठ पर्व के अनुष्ठान की तैयारी में जुट चुके हैं। सभी जगह छठ के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं, जिससे पूरा माहौल छठमय नजर आ रहा है। राजधानी छठी माई के गीतों से सुवासित और गुलजार हो उठा है। शहर के मठ-मंदिरों में भी छठी माई के गीतों से सुबह की शुरुआत हो गयी है। कहीं शारदा सिन्हा की आवाज रस बरसारही है कि 'मोर जिया जाएला महंगा मुंगेर' तो कहीं देवी के सुर कानों में पर्व की महिमा बखान कर रही है कि ' कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए'..।केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडराय, आदित लिहो मोर अरगिया., दरस देखाव ए दीनानाथ., उगी है सुरुजदेव., हे छठी मइया तोहर महिमा अपार.,काच ही बास के बहंगिया बहंगी लचकत जाय., आदि छठ गीतों काधमाल है। भक्ति गीतों से लोग भक्ति रस की गंगा में डुबकी लगाने लगे हैं। गीतों में आधुनिकता अवश्य आ गई है, लेकिन इन गीतों की लोकप्रियता में तनिक भी कमी नहीं आई है। लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना के सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर कानों में माटी की सोंधी खुशबू में लिपटे गीत बजने शुरू हो गये हैं। 'मरबो रे सुगवा धनुष से, सुग्गा गिरे मुरुझाए' से लेकर 'दरसन दीन्ही अपार हे छठ मइया दरसन दीन्ही अपार'। छठ गीतों के बिना मानो पर्वमें रंग ही नहीं आता है।चार दिनों के इस अनुष्ठान को लेकर छोटे से बड़ा हर व्यक्ति काम में व्यस्त है। प्रत्येक घर के हर सदस्य के पास कोई न कोई जिम्मेदारी है।परिवार के सबसे छोटे सदस्य को ऑनलाइन माध्यम से धीमी आवाज में छठ गीत बजाने का जिम्मा दिया गया है। जिन घरों में छठ पर्व का आयोजन किया गया उन घरों से तो गीतों की आवाज आ ही रही है इसके अलावा जिस रास्ते से गुजरें आपको विभिन्न लोक गायकों की आवाज से सजे ऐसे गीत सुनने को मिल जाएंगे। इन गानों का संयोजन और संकलन छठ महापर्व के लिए ही किया जाता है।छठ गीतों से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि ये एक ही लय में गाए जाते हैं । 'छठ पूजा' के लोकगीतों की चर्चा होते ही सबसे पहले पद्मभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा का नाम जेहन में आता है। ऐसे कई गीत हैं, जिन्हें शारदा सिन्हा ने अपनी अपनी मधुर आवाज देकर अमर कर दिया है। लोकगीतों केरत है। सूर्य की उपासना का पावन पर्व 'छठ' अपने धार्मिक, पारंपरिक और लोक महत्व के साथ ही लोकगीतों की वजह से भी जाना जाता है। घाटों पर 'छठी मैया की जय, जल्दी जल्दी उगी हे सूरज देव..', 'कईली बरतिया तोहार हे छठी मैया..' 'दर्शन दीहीं हे आदित देव..', 'कौन दिन उगी छई हे दीनानाथ..'जैसे गीत सुनाई पड़ते हैं। मंगल गीतों की ध्वनि से वातावरण श्रद्धा और भक्ति से गुंजायमान हो उठता है। इन गीतों की पारम्परिक धुन इतनी मधुर है कि जिसे भोजपुरी बोली समझ में न भी आती हो तो भी गीत सुंदर लगता है। यही कारण है कि इस पारम्परिक धुन का इस्तेमाल सैकड़ों गीतों में हुआ है।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - mpenews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^