बिरला ने वाजपेयी की जन्मशती पर आयोजित 'रामायण' का किया अवलोकन
25-Dec-2024 11:09 PM 3002
नयी दिल्ली, 25 दिसंबर(संवाददाता) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में उच्च मानक स्थापित किए और हमारे सामूहिक चेतना पर एक गहरी छाप छोड़ी। श्री बिरला ने आज यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित संगीत नाटक 'रामायण' में आमंत्रित लोगों को संबोधित करते हुए ये बात कहींं। उन्होंने कहा कि श्री वाजपेयी सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों के लिए एक आदर्श थे और देश भर के लोग उनके अनोखे व्यक्तित्व और कार्यों से प्रेरित थे। उन्होंने चार दशकों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया - लोकसभा और राज्यसभा दोनों में सांसद, विपक्ष के नेता, सरकार में मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में - और उन्होंने प्रत्येक भूमिका में उत्कृष्टता हासिल की। श्री वाजपेयी के संसदीय जीवन का जिक्र करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि उनके समृद्ध अनुभव और संसदीय लोकतंत्र को समृद्ध बनाने में योगदान के साथ-साथ संसद के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति के सामाजिक-आर्थिक जीवन में परिवर्तन लाने के उनके प्रयास हम सभी का मार्गदर्शन करते है। श्री बिरला ने सभी से आग्रह किया कि वह श्री वाजपेयी के मार्ग का अनुसरण करें और उनके जीवन और आदर्शों से प्रेरणा लेकर देश की सेवा के लिए खुद को समर्पित करें। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि श्री राम का संपूर्ण जीवन पवित्र आचरण और कर्तव्य के प्रति निष्ठा का प्रतीक रहा है। उन्होंने कहा कि संगीत नाटिका के माध्यम से भगवान श्री राम के जीवन प्रस्तुतीकरण की यह विधा अत्यंत मनोहारी है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए रामायण एक पवित्र ग्रंथ ही नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है, जो अनगिनत पीढ़ियों से कहानियों, लोक गीतों, नृत्य रूपों, संगीत, रंगमंच, चित्रकला और कई अन्य कला रूपों में अनवरत चली आ रही है। इस कड़ी में यह भव्य संगीतमय नृत्य नाटिका अद्भुत है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि उनका पूरा जीवन पवित्र आचरण और कर्तव्य के प्रति अत्यधिक सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संगीत नाटक के माध्यम से भगवान श्री राम के जीवन की प्रस्तुति अत्यधिक मोहक है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए, रामायण न केवल एक पवित्र ग्रंथ है, बल्कि एक जीवंत परंपरा भी है जो अनगिनत पीढ़ियों से कहानियों, लोकगीतों, नृत्य रूपों, संगीत, रंगमंच, चित्रकला और कई अन्य कला रूपों में निरंतर चली आ रही है। उन्होंने हर्ष व्यक्त किया कि इस परंपरा के अनुसरण में, यह भव्य संगीतमय नृत्य नाटक अद्भुत है।...////...
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