चाबहार बंदरगाह बनेगा मध्य एशिया और दक्षिण एशिया का संपर्क द्वार
27-Jan-2022 09:03 PM 2699
नयी दिल्ली 27 जनवरी (AGENCY) मध्य एशिया के पांचों देश भारत द्वारा विकसित ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह को मध्य एशिया एवं दक्षिण एशिया के बीच एक व्यापारिक संपर्क द्वार के रूप में उपयोग करने तथा अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरीडोर (आईएनएसटीएस) एवं अश्गाबात समझौते से भी जोड़े जाने पर आज सहमत हो गये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज शाम वर्चुअल माध्यम से आयोजित प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक में कजाखस्तान, किर्गीज गणराज्य, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने यह सहमति प्रदान की। बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा एवं सहयोग के बारे में एक रणनीति पर मुहर लगायी गयी जिससे अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान की रणनीतिक महत्वाकांक्षाएं धराशायी हो गयीं। बैठक के बाद दिल्ली घोषणापत्र भी जारी किया गया। विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रीनत संधू ने इस बैठक के बारे में संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आज की बैठक में कनेक्टिविटी एक महत्वपूर्ण मुद्दा था। मध्य एशिया के सभी नेताओं ने चाबहार बंदरगाह के महत्व को स्वीकार किया और उन्होंने इस बंदरगाह को मध्य एशिया एवं दक्षिण एशिया के बीच व्यापारिक संपर्क के द्वार के रूप में उपयोग करने पर सहमति प्रदान की। इसके अलावा इस बंदरगाह को आईएनएसटीसी और अश्गाबात समझौते से भी जोड़ने पर रजामंदी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मध्य एशियाई देशों ने चाबहार बंदरगाह के शहीद बेहेस्ती टर्मिनल का अन्य देशों के साथ व्यापार के लिए उपयोग के लिए उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार किया। सुश्री संधू ने कहा कि भारत रूस एवं ईरान की त्रिपक्षीय आईएनएसटीसी परियोजना में अभी तक ईरान का बंदरअब्बास बंदरगाह, अजरबैजान, कैस्पियन सागर का रास्ता शामिल है। इस मार्ग के उपयोग से भारत से रूस में मालवहन 42 -45 दिनों की बजाय 20 -24 दिनों में संभव हो रहा है और परिवहन लागत भी 30 से 40 प्रतिशत कम हो रही है। भारत ने अश्गाबात समझौते पर 2018 में हस्ताक्षर किये थे जो मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के देशों के बीच व्यापारिक आदान प्रदान का करार है। दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया कि सभी नेताओं ने माना कि मध्य एशियाई देशों के चारों ओर से भूमि से घिरे हाेने और भारत के साथ ज़मीनी संपर्क के अभाव को देखते हुए भारत एवं मध्य एशिया के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए परस्पर कनेक्टिविटी का विकास बहुत ही जरूरी है। नेताओं ने कहा कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर प्राथमिकता से ध्यान देना होगा जिससे हमारे देशों के बीच व्यापार एवं आर्थिक सहयोग के साथ लोगों के बीच संपर्क के कई गुना विस्तार का रास्ता खुलेगा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने तापी पाइपलाइन परियोजना का मुद्दा उठाया था जिसके बारे में बताया गया कि इस कंसोर्शियम के साझीदारों के बीच बातचीत हो रही है। अफगानिस्तान को लेकर सवालों पर सचिव (पश्चिम) ने कहा कि गत वर्ष मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सम्मेलन ‘दिल्ली सुरक्षा संवाद’ में बनी सहमति के आधार पर अफगानिस्तान के बारे में चर्चा हुई। भारत एवं इन देशों ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन, मादक पदार्थों एवं मानव तस्करी पर पूरी तरह से अंकुश रखे जाने तथा महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा किये जाने पर जोर दिया और अफगानिस्तान की जनता को मानवीय सहायता सुलभ कराये जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग को भारत एवं मध्य एशियाई देशों के बीच सहयोग का एक अहम स्तंभ करार दिया। कज़ाखस्तान, किर्गीज गणराज्य, ताजिकिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने भारत के साथ नियमित द्विपक्षीय सैन्य अभ्यासों पर संतोष व्यक्त किया और भारत एवं इच्छुक मध्य एशियाई देशों के साथ संयुक्त आतंकवाद निरोधक अभ्यास करने पर विचार करने पर सहमति प्रदान की। सुश्री संधू ने कहा कि पांचों मध्य एशियाई देशाें के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध बहुत अच्छे हैं लेकिन इस बैठक में सामूहिक रूप से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर फोकस किया गया। उन्होंने कहा कि आरंभिक वक्तव्यों के बाद करीब डेढ़ घंटे तक चली की बैठक में यह सहमति बनी की शिखर बैठक का आयोजन दो वर्ष में किया जाए जबकि मंत्रिस्तरीय आयोजन हर साल हों। इस प्रकार से अगली भारत मध्य एशिया शिखर बैठक वर्ष 2024 में होगी। किस देश में होगी, यह बाद में राजनयिक स्तर तय किया जाएगा। बैठक में कज़ाखस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव, किर्गीज गणराज्य के राष्ट्रपति सदीर जापारोव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामदो शामिल हुए। बैठक में सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आरंभिक वक्तव्य में आपसी सहयोग को क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य बताया और भारत एवं मध्य एशिया के बीच सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि अगले तीन वर्षों में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी एवं सहयोग बढ़ाने के लिए एकीकृत ढंग से आगे बढ़ेंगे। मध्य एशियाई नेताओं ने अपने अपने आरंभिक वक्तव्य में भारत को 73वें गणतंत्र दिवस की बधाई दी तथा भारत एवं मध्य एशियाई देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग की सराहना करते हुए उसे और मजबूत करने के श्री मोदी के विज़न की सराहना की। उन्होंने वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भारत के साथ मिल कर चलने के इरादे का इजहार किया।...////...
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