20-Dec-2024 01:00 AM
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नयी दिल्ली 19 दिसंबर (संवाददाता) केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को कहा कि देश की बढ़ती स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं, तकनीकी नवाचारों, सरकारी सहायता और उभरते बाजार अवसरों से उत्पन्न अपार विकास क्षमता के कारण चिकित्सा उपकरण उद्योग भारत का उभरता क्षेत्र है।
श्रीमती पटेल ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ के ‘21वें सीआईआई स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2024’ को संबोधित करते हुए कहा कि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया में चौथा सबसे बड़ा और दुनिया के शीर्ष 20 वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजारों में से एक है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों से सरलता से निपटने तथा नए अवसरों की तलाश तथा स्वास्थ्य सेवा में एआई नवाचार महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार ने चिकित्सा उपकरणों के निर्यात बढ़ाने और उद्योग के साथ सहयोग के लिए निर्यात संवर्धन परिषद का गठन और राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण संवर्धन परिषद को पुनर्गठित किया है।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव भी इस अवसर पर मौजूद थीं।
शिखर सम्मेलन का विषय ‘विकसित भारत 2047 के लिए स्वास्थ्य सेवा में बदलाव’ है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र लगभग 14 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है और वर्ष 2030 तक इसके 30 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है और शीर्ष 20 वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार है।
स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स के इस्तेमाल पर श्रीमती पटेल ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों से सरलता से निपटने तथा नए अवसरों की तलाश तथा स्वास्थ्य सेवा में एआई नवाचार अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने चिकित्सा उपकरण पारिस्थितिकी तंत्र सुदृढ़ करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, अनुसंधान तथा कौशल क्षमता बढ़ाने और वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी का विस्तार करने के केंद्र सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 को मंजूरी देने सहित प्रमुख नीतिगत निर्णय लिए गए हैं जो विनियामक सुव्यवस्थितता, इस क्षेत्र में बुनियादी संरचना बढ़ाने, अनुसंधान एवं विकास, निवेश आकर्षित करने और मानव संसाधन कौशल उन्नयन में सहायक होंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने निर्यात बढाने और इस उद्योग को सहयोग देने के कई कदम उठाए हैं। इनमें चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएमडी) गठित करना और राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण संवर्धन परिषद (एनएमडीपीसी) का पुनर्गठन शामिल है। उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य चिकित्सा उपकरण निर्यात आसान बनाना, नियामक चुनौतियों का समाधान और व्यापार सुगमता बढ़ाना है, जिससे वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार में भारत की स्थिति मज़बूत होगी। केन्द्रीय मंत्री ने 400 करोड़ रुपये के परिव्यय से चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने की योजना आरंभ किए जाने की जानकारी दी, जिसमें बुनियादी ढांचे विकसित करने के लिए उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को 100-100 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना और 500 करोड़ रुपये की सहायता से चिकित्सा उपकरण उद्योग को मजबूत करने की योजना का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, विनिर्माण क्षमता बढ़ाना, कौशल विकास में सहयोग और इस उद्योग को बढ़ाना है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि मेडटेक उद्योग में आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित ये प्रयास आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।...////...