02-Feb-2022 11:07 PM
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भुवनेश्वर, 02 फरवरी (AGENCY) पांचवे वार्षिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी सर्वेक्षण, 2022 में भारत की सबसे बड़ी तटीय झील चिल्का में 105 भिन्न प्रजातियों की 10.5 लाख पक्षियां नजर आईं।
इस सर्वेक्षण में जनवरी के पहले सप्ताह में चिल्का वन्यजीव प्रभाग द्वारा आयोजित वाॅटरबर्ड जनगणना की तुलना की गई, जिसमें 103 प्रजातियों के 10,36,220 पक्षियों की जानकारी दी गई थी।
यह झील समुद्री, नमकीन और मीठे पानी का एक अनूठा संयोजन है। यह इसलिये भी मशहूर है क्योंकि यह कई लुप्तप्राय प्रजातियों का आश्रय स्थल है। सर्दियों के मौसम में यहां प्रवासी पक्षियों का तांता लगा रहता है।
उल्लेखनीय है कि सर्वेक्षण का काम मंगलवार को चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) और ओडिशा सरकार के अधिकारियों के लगभग 120 कर्मियों की 28 टीमों द्वारा किया गया।
सीडीए के सूत्रों ने कहा कि नलबन अभयारण्य में ही 2,86,929 व्यक्तियों ने 75 प्रजातियों के मौजूद रहने की सूचना दी थी। चिल्का में पाए गए प्रवासी पक्षियों में बहुलता बत्तखों के भिन्न प्रजातियों की थी, जिनमें नॉदर्न पिनटेल, गेडवॉल और यूरेशियाई पतेरा प्रमुख थे। इनमें से प्रत्येक की कीमत 1.5 लाख से अधिक थी।
गौरतलब है कि नलबन और चिल्का के अन्य हिस्सों में जल स्तर में गिरावट होने की वजह से मिट्टी की परतें दिखाई देने लगी हैं। इस बीच, चार जनवरी को हुई जनगणना के मुताबिक, नलबन में 1.2 लाख से अधिक ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, लिटिल स्टिंट, रफ, कर्लेव सैंडपाइपर और लेसर सैंडप्लोवर जैसी वेडर प्रजाति की पक्षियां हैं।
इतना ही नहीं, नलबन में दो हजार से अधिक बेहद खूबसूरत राजहंस की उपस्थिति की भी जानकारी मिली है। इनके अलावा, यहां लुप्तप्राय एक हजार से अधिक मालक हंस के रहने की भी सूचना मिली है। इसके साथ ही दो असामान्य प्रजातियां लाल गर्दन वाले प्रवासी वेडर और ऊनी गर्दन वाले सारस भी क्रमशः परीकुड और मंगलाजोडी की दलदली भूमि में नजर आये हैं।...////...