डॉ. सिंह ने किया अल्फोंस की पुस्तक “द विनिंग फॉर्मूला: 52 वेज़ टू चेंज योर लाइफ” का विमोचन
21-Nov-2024 11:15 PM 7969
नयी दिल्ली 21 नवंबर (संवाददाता) खुद पर विश्वास हो, तो क्या हासिल किया जा सकता है, यह बताती है पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व नौकरशाह के.जे. अल्फोंस की किताब “द विनिंग फॉर्मूला: 52 वेज़ टू चेंज योर लाइफ” जिसका विमोचन गुरुवार को यहां आयोजित एक समारोह में किया गया। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के केरल कैडर के 1979 के अधिकारी रहे श्री अल्फोंस की किताब का विमाचन केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया। इस मौके पर दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन, पूर्व विदेश सचिव एवं परमाणु मामलों एवं जलवायु परिवर्तन के लिए प्रधानमंत्री के विशेष प्रतिनिधि रहे और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के अध्यक्ष श्याम सरन मौजूद थे। इस मौके पर डॉ. सिंह ने कहा, “पूर्व आईएएस एवं पूर्व केद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस कई वर्षों से मेरे करीबी मित्र हैं। इसलिए जब उन्होंने मुझसे अपनी नई किताब “द विनिंग फॉर्मूला: 52 वेज़ टू चेंज योर लाइफ” का विमोचन करने के लिए कहा, तो यह मेरे लिए व्यक्तिगत संतुष्टि की बात थी। यह किताब हर किसी के लिए प्रेरणा का भंडार है, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।” ब्लूम्सबरी द्वारा प्रकाशित श्री अल्फोंस की पुस्तक का संदेश बहुत सरल है कि कोई भी व्यक्ति वह सब हासिल कर सकता है, जिसे श्री अल्फोंस और इस पुस्तक के अन्य पात्रों ने हासिल किया है, बशर्ते कि उसमें कुछ करने की लगन हो। इस किताब में लेखक ने अपने जीवन के किस्सों के साथ-साथ 52 कहानियां बतायी हैं। “द विनिंग फॉर्मूला: 52 वेज़ टू चेंज योर लाइफ” प्रेरणा और खुद पर विश्वास के ज़रिए जीवन बदलने का तरीका बताती है। यह किताब आपको अपने विचारों और कार्यों पर विचार करने और सीखने के लिए प्रेरित करेगी। “द विनिंग फॉर्मूला, 52 वेज़ टू चेंज योर लाइफ” एक प्रेरक पुस्तक है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से लिखी गई है। इस पुस्तक में 52 किस्से हैं, जिनमें से 13 अल्फोंस के जीवन से संबंधित है, जबकि बाकी 39 अन्य ऐसे साधारण लोगों के जीवन से जुड़ी हुयी हैं, जिन्होंने असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। पुस्तक बताती है कि किसी चीज को करने के लिए असाधारण बुद्धि की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि सिर्फ प्रतिबद्धता और सही दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। श्री अल्फोंस इस किताब में बताते हैं कि उनका बचपन एक ऐसे गांव में बिता जहां पर बिजली नहीं थी। उन्होंने अपने भाई-बहनों और माता-पिता के साथ बहुत अच्छा समय बिताया, लेकिन विद्यालय में वह ज्यादातर समय कक्षा में सबसे नीचले पायदान पर रहे। उन्होंने विद्याय में कभी किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया और जब उन्होंने विद्यालय में 42 प्रतिशत अंक हासिल किया, तो बहुत से लोगों ने उसे बेवकूफ कहा, लेकिन उन्होंने अपने मन में ठान लिया कि वह बुद्धिमान और प्रतिभाशाली है। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अंग्रेजी सीखी और कॉलेज में हर गतिविधि में हिस्सा लिया। फिर एक ऐसा समय आया, जब वह सिविल सेवा परीक्षा में टॉपर बने और टाइम पत्रिका की 100 युवा वैश्विक नेताओं की सूची में शामिल हुए। इसके साथ ही विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री बने।...////...
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