देश में स्वस्थ संवाद व वाद विवाद की समृद्ध परिपाटी रही है, इसे मजबूत करना चाहिए: मोदी
14-Jun-2022 09:19 PM 1516
मुंबई, 14 जून (AGENCY) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत में परिचर्चा और वाद-विवाद के साथ चलने की एक समृद्ध परिपाटी रही है और हमें इस परिपाटी को मजबूत करना चाहिए। श्री मोदी यहां से प्रकाशित समाचार-पत्र मुंबई समाचार के द्विशताब्दी महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा, “ यह देश वाद-विवाद और चर्चा के माध्यमों से आगे बढ़ने वाली समृद्ध परिपाटी का देश है। हजारों वर्षों से हमने स्वस्थ बहस को, स्वस्थ आलोचना को, सही तर्क को सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा बनाया है। ” श्री मोदी ने भारतीय समाज में खुले संवाद की परंपरा को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा, “हमने बहुत कठिन सामाजिक विषयों पर भी खुलकर स्वस्थ चर्चा की है। यही भारत की परिपाटी रही है, जिसको हमें सशक्त करना है।” उन्होंने आजादी से पहले और बाद के दौर में मुंबई समाचार की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा, “ मुंबई समाचार ने आजादी के आंदोलन को भी आवाज दी और फिर आजाद भारत के 75 वर्षों को भी हर आयु के पाठकों तक पहुंचाया।” श्री मोदी ने कहा कि समाचार पत्रों का, मीडिया का काम समाचार पहुंचाना है, लोक शिक्षा का है, समाज और सरकार में कुछ कमियां हैं तो उनको सामने लाने का है। उन्होंने कहा, “ मीडिया का जितना अधिकार आलोचना का है, उतना ही बड़ा दायित्व सकारात्मक खबरों को सामने लाने का भी है। उन्होंने कहा कि बीते दो वर्षों में कोरोना काल के दौरान जिस प्रकार हमारे पत्रकार साथियों ने राष्ट्रहित में एक कर्मयोगी की तरह काम किया, उसको भी हमेशा याद किया जाएगा। भारत के मीडिया के सकारात्मक योगदान से भारत को सौ वर्ष के इस सबसे बड़े संकट से निपटने में बहुत मदद मिली। श्री मोदी ने कहा कि मुंबई समाचार की भाषा का माध्यम गुजराती जरूर रही, लेकिन इसका सरोकार राष्ट्रीय रहा। उनहोंने मुंबई समाचार के पाठकों, पत्रकारों और कर्मचारियों को इस ऐतिहासिक समाचार पत्र की दो सौ वीं वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अपने प्रकाशन के दो सौ वर्षों के दौरान इस अखबार ने अनेक पीढ़ियों के जीवन को, उनके सरोकारों को मुंबई समाचार ने आवाज दी है। उन्होंने कहा कि विदेशियों के प्रभाव में जब ये शहर बॉम्बे हुआ तब भी इस अखबार ने अपनी जड़ों से संबंध को नहीं छोड़ा। श्री मोदी ने कहा,“यह तब भी सामान्य मुंबई का अखबार था और आज भी वही है। ” उन्होंने कहा, “मुंबई समाचार सिर्फ एक समाचार का माध्यम भर नहीं है, बल्कि एक धरोहर है। मुंबई समाचार भारत का दर्शन है, भारत की अभिव्यक्ति है।” उन्होंने कहा कि मुंबई समाचार जब शुरू हुआ था तब उस समय देश में पराधीनता का अंधेरा घना हो रहा था। भारत कैसे हर झंझावात के बावजूद, अटल रहा है, उसकी झलक हमें मुंबई समाचार में भी मिलती है। श्री मोदी ने कहा कि जिस समय इस अखबार का प्रकाशन शुरू हुआ उस कालखंड में गुजराती जैसी भारतीय भाषा में अखबार निकालना इतना आसान नहीं था। मुंबई समाचार ने उस दौर में भाषाई पत्रकारिता को विस्तार दिया। उन्होंने कहा कि भारत का हजारों वर्षों का इतिहास हमें बहुत कुछ सिखाता है। यहां जो भी आया, छोटा हो या बड़ा, कमजोर हो या बलवान, सभी को मां भारती ने अपनी गोद में फलने-फूलने का भरपूर अवसर दिया। पारसी समुदाय से बेहतर इसका उदाहरण क्या हो सकता है। आजादी के आंदोलन से लेकर भारत के नवनिर्माण तक पारसी बहन-भाईयों का योगदान बहुत बड़ा है। संख्या से हिसाब से समुदाय देश के सबसे छोटे समुदायों में से है, एक तरह से बहुत सुक्ष्म संख्या वाले अल्पसंख्यक है, लेकिन सामर्थ्य और सेवा के हिसाब से बहुत बड़ा है। मुंबई समाचार इस समय एशिया के सबसे पुराने समाचार पत्रों में है। यह गुजराती का पहला अखबार है। इसे पारसी समुदाय के पत्रकार और प्रकाशक फरदुंजी मार्जबन ने वर्ष 1882 में इसके प्रकाशन की शरुआत की थी। उनका जन्म सूरत(वर्तमान गुजरात) में हुआ था। प्रधानमंत्री श्री मोदी आज महाराष्ट्र के एक दिन के दौरे पर इससे पहले पुणे के देहू में जगतगुरु श्रीसंत तुकाराम महाराज मंदिर का उद्घाटन किया। उन्होंने मुंबई में राजभवन में जल भूषण भवन एवं क्रांतिवीरों की दीर्घा का भी उद्घाटन किया। समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और विपक्ष के नेता देवेंद्र फणनवीश भी मौजूद रहे। उन्होंने अपना संबोधन मराठी और हिंदी में भी किया। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायी की राजभवन में भूषण भवन एवं क्रांतिवीरों की दीर्घा से महाराष्ट्र की प्रशासन और महाराष्ट्र की जनता को नयी ऊर्जा मिलेगी।...////...
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