23-Dec-2021 08:19 PM
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बेलगावी, 23 दिसंबर (AGENCY) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को दावा किया कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारामैया के शासनकाल के दौरान तैयार किए गए मसौदा विधेयक में सुधार के बाद लाया गया है।
कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री जे सी मधुस्वामी ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर चर्चा के दौरान विधानसभा में कहा, “कानून आयोग की रिपोर्ट 2016 में कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के मसौदे पर तैयार की गई थी, जब श्री सिद्दारामैया मुख्यमंत्री थे। इसलिए तत्कालीन सरकार इसे कानून का रूप देना चाहती थी लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सका था। ”
इस बयान के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे।
श्री सिद्दारामैया ने खुद का बचाव करते हुये कहा कि उस समय कानून आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी लेकिन तत्कालीन कैबिनेट ने इस पर चर्चा किये बिना ही पास कर दिया था, इसलिये तत्कालीन सरकार ने इस विधेयक को लागू नहीं किया था।
उन्होंने कहा कि अगर तत्कालीन सरकार की मंशा विधेयक को कानून बनाने की होती तो हम इसे लागू कर देते क्योंकि हम अगले दो साल तक सत्ता में थे।
इस मुद्दे पर कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि वर्तमान में लाये गये विधेयक और तत्कालीन विधेयक में फर्क है। इस पर श्री मधुस्वामी ने कहा कि यह भिन्न इसलिये है कि क्योंकि इस मसौदे में दो से तीन बदलाव किए गए हैं।
इसके बाद सदन के अध्यक्ष विशेश्वर हेगड़े ने सदन को 10 मिनट के लिये स्थगित कर दिया।
सदन की कार्यवाही फिर शुरू होने पर श्री सिद्दारामैया ने कहा कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक उत्तर प्रदेश और गुजरात में लाये गये कानून के समान है और इसे अदालत में उन राज्यों की तरह खारिज कर दिया जाएगा ।
उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (ए) का जिक्र करते हुये कहा कि इसे लागू करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।...////...