09-Dec-2021 07:54 PM
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नयी दिल्ली, 09 दिसंबर (AGENCY) लोकसभा में गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशकों के कार्यकाल को दो वर्ष से पांच वर्ष तक क्रमबद्ध ढंग से बढ़ाने की छूट देने वाले विधेयकों को पारित कर दिया।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) विधेयक 2021 में प्रवर्तन निदेशक एवं सीबीआई के निदेशक का कार्यकाल नियुक्ति की प्रारंभिक तारीख से पांच वर्ष पूरे होने तक एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। उनकी अलग-अलग नियुक्ति संबंधी समितियों के सुझाव पर यह सेवाविस्तार जनहित में दिया जा सकता है।
इन विधेयकों पर सदन में चार घंटे से अधिक समय तक चली बहस का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री और कार्मिक, प्रशिक्षण, पेंशन एवं जनशिकायत राज्य मंत्री डाॅ. जितेन्द्र सिंह ने विपक्ष के आरोपों का सिलसिलेवार ढंग से जवाब दिया और कहा कि यह कहना गलत है कि सरकार इन अधिकारियों को सेवा विस्तार अपने इशारे में काम करने के लिए मजबूर करने के मकसद से लायी है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों अधिकारियों की नियुक्ति के लिए अलग-अलग वैधानिक व्यवस्थाएं हैं। सीबीआई के निदेशक के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता एवं उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की समिति है जबकि प्रवर्तन निदेशक की नियुक्ति के लिए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त तथा केन्द्रीय गृह तथा कार्मिक मंत्रालयों एवं राजस्व विभाग के सचिवों की समिति है। ईडी एवं सीबीआई के निदेशकों के सेवाविस्तार का निर्णय भी ये ही समितियां करेंगी। इस प्रकार से किसी प्रकार के पक्षपात या भेदभाव की गुंजाइश नहीं रह जाएगी।
उन्होंने कई अन्य देशों के उदाहरण दिये और कहा कि इसका मकसद केवल यह है कि भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की जांच में निरंतरता बनी रहे और जांच समय पर पूरी हो सके ताकि अपराधियों को जल्दी सजा मिले। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने भी इसी प्रकार की सिफारिश की है। अमेरिका सहित विभिन्न देशों में भी जांच एजेंसियों के मुखिया का कार्यकाल पांच से सात साल तक का होता है। हमने भी भारत में सीबीआई और सीवीसी के निदेशकों के कार्यकाल की अधिकतम सीमा पांच साल तक करने का प्रस्ताव किया है।
डॉ. सिंह ने सदन से अपील की कि वे सद्भावना और विश्वास के साथ इन विधेयकों काे पारित करें ताकि देश की भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त भारत के रूप में पहचान बन सके।
इसके बाद सदन ने विपक्ष के संशोधनों को अस्वीकृत करके दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया।...////...