03-Mar-2022 10:38 PM
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निर्भय कुमार से
नयी दिल्ली, 03 मार्च (AGENCY) नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि सरकार के पिछले दो साल के फैसलों से भारतीय अर्थव्यवस्था को बल मिला है और अब यह उतार-चढ़ाव के दौर से निकलकर आगे ठोस वृद्धि की राह पर प्रगति करेगी।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौर में भारतीय कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3 प्रतिशत से ऊपर रही और अब संकेत है कि मांग बढ़ने से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां भी बढ़ रही हैं।
यूनिवार्ता से विशेष बातचीत में श्री कुमार ने कहा, 'विनिर्माण क्षेत्र में स्थापित क्षमता का उपयोग इस समय करीब 60 प्रतिशत के स्तर पर है, आनेवाले समय में क्षमता का पूरा उपयोग हो रहा होगा। अब इस तरह के पूरे संकेत है कि बैंक भी कर्ज देने को तैयार हैं। आप किसी बैंक से बात करें, उनका लेखा-जोखा पहले से काफी अच्छा हो गया है। उनके एनपीए (अवरूद्ध ऋण) खत्म हो गए हैं।'
उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र में सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात बढ़ रहा है, लेकिन पर्यटन के क्षेत्र में सुधार आने में अभी समय लगेगा।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, 'कुल मिलाकर, मुझे लगता है कि आगे आने वाले समय में अर्थव्यवस्था ठोस वृद्धि की राह पर होगी। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पिछले दो साल में किए गए निर्णयों के दमपर हम अब उतार-चढ़ाव के दौर से आगे निकल चुके हैं।'
उन्होंने कतिपय अर्थशास्त्रियों और नीतियों का विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों के इस मत को खारिज किया, कि सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए कोई पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं और जनता को नगद धन का समर्थन नहीं दिया है। श्री कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत किसानों के खाते में धन का स्तांतरण तो हो ही रहा है।
श्री कुमार ने कहा, 'मुझे लगता है कि पीएम-किसान के तहत किसानों के खाते में 72,000 करोड़ रुपए डाले जा चुके हैं। जो लोग अलोचना कर रहे हैं, वे इस बात कि चर्चा तक नहीं करते। भारत में 25 करोड़ परिवार हैं उनमें पीएम किसान की सहायता पाने वाले परिवार 11-12 करोड़ के बीच हैं।'
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि जो लोग सचमुच वंचित वर्ग के हैं, उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त राशन दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, 'इस तरह जिसको जितना मिल रहा है वह उसकी बचत है, जो उसकी खरीदारी करने की क्षमता बढ़ाती है, जिसका बात का ध्यान अलोचक नहीं देते।'
खासकर पर्यटन, होटल-रेस्त्रां और असंगठित क्षेत्र के निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों को सहायता की आवश्यकता होने के बारे में पूछे जाने पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान कर पाना और उनके लिए सहायता की लक्षित योजनाएं बना पाना एक चुनौती है।
श्री कुमार ने इस बात का भी जिक्र किया की सरकार को इस बात की भी जानकारी है कि लोग सरकार से मिली सहायता को खर्च करने के बजाए उसको जमा रखते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में जनधन खातों में जमाधन की वृद्धि इस बात का संकेत है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोविड से पहले 25 मार्च 2020 को कुल जनधन खातों की संख्या 38.33 करोड़ थी। जिनमें 1.18 लाख करोड़ रुपए जमा थे। नवंबर 2021 में जनधन खातों की संख्या बढ़कर 43.85 करोड़ रुपए हो गयी और उनमें जमा अधिसेष 1.48 लाख करोड़ रुपए था।
श्री कुमार ने कहा, 'यह वृद्धि क्यों हुयी है, खर्च के लिए दिया गया ऐसा धन एकबार को मांग बढ़ाता है। क्योंकि उपभोग से गुणक प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन यदि आप पैसे को निवेश, निर्माण या इन जैसी गतिविधियों पर लगाएंगे तो उसका गुणक प्रभाव पड़ता है। इस तरह के निवेश से आगे आय सृजन की लहरें पैदा होती हैं। इसलिए जो लोग यह कहते है कि सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया, उनकी बातें निराधार है।'
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, 'सरकार ने अतिरिक्त निवेश के माध्यम से मांग को बढ़ावा देने का रास्ता चुना जो अधिक भरोसेमंद है। इससे रोजगार, आय और उपभोग को प्रोत्साहन मिलता है।...////...