09-Jan-2024 12:09 AM
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जम्मू, 08 जनवरी (संवाददाता) जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि यह जेकेएनसी ही थी, जिसने 1990 के दशक की उथल-पुथल के बाद 1996 के चुनावों में यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जबकि कुछ लोग इसमें भाग लेने के लिए इच्छुक नहीं थे।
उन्होंने कहा कि जेकेएनसी ने चुनौतीपूर्ण समय से प्रदेश के लोगों की सुरक्षा के लिए राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने का साहसिक कदम उठाया था।
यहां नगरोटा के बारां, भलवाल में पार्टी के एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 1996 में जम्मू-कश्मीर का पुनर्निर्माण उस समय शुरू किया था, जब यहां कोई पुल नहीं था, कोई सरकारी संरचना नहीं थी, कोई सुलभ सड़कें नहीं थीं और कोई कामकाजी संस्थान नहीं थे। उन्होंने कहा, "हमने न केवल धीरे-धीरे पर्यावरण में सुधार किया, बल्कि हजारों स्कूल, कॉलेज, पुल और सड़कें भी बनाईं और छह साल की अवधि में 150,000 से अधिक सरकारी नौकरियां प्रदान कीं।" उन्होंने कहा, "हमने रहबर-ए-तालीम, रहबर ए ज़िरात जैसी योजनाएं शुरू कीं और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मौके पर ही डीजी भर्ती की गई और संकटग्रस्त राज्य व्यवस्था को पटरी पर लाया गया।”
सम्मेलन का आयोजन पार्टी के अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार सधोत्रा ने किया और संचालन जिला अध्यक्ष जम्मू ग्रामीण रघबीर सिंह मन्हास ने किया। इस अवसर पर पार्टी के अतिरिक्त महासचिव डॉ. शेख मुस्तफा कमाल, प्रांतीय अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता, नासिर असलम वानी, पार्टी नेता अब्दुल गनी मलिक, बाबू राम पाल, सुरिंदर चौधरी, शेख बशीर, अली मोहम्मद डार, अल्ताफ अहमद वानी, वाईएनसी प्रांतीय अध्यक्ष अजाज जान, इस मौके पर बिमला लूथरा, एजी तेली, शमीम अख्तर, शमशाद शान समेत पार्टी पदाधिकारी मौजूद थे।
उन्होंने कहा, '1990 के बाद अशांत दौर में जम्मू-कश्मीर का पूरा ढांचा नष्ट हो गया। यहां लोकतंत्र और कार्य संस्कृति नाम की कोई चीज नहीं रह गई, ज्यादातर पुल, सरकारी भवन, स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थान नष्ट हो गए और लोग डर के साए में थे।"
डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि जो लोग आज यहां शांति और विकास की दुहाई देते हैं, वे महज बातों से लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर के विकास और लोगों के लिए जितना कल्याणकारी कार्य किया है, उसे दोहराया नहीं जा सकता।”
उन्होंने अनुच्छेद 370 के बारे में दुष्प्रचार करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि इस अनुच्छेद की बदौलत यहां के लोगों को जमीनों पर मालिकाना हक और मुफ्त शिक्षा जैसी सुविधाएं मिलीं।
उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 महाराजा हरि सिंह की विरासत थी, जिसे अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और एकतरफा तरीके से हटा दिया गया। दुर्भाग्य से जम्मू के लोगों को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।...////...