घर की टंकी में मछली उत्पादन अब तालाब की जरूरत नहीं
14-Aug-2021 01:33 PM 1409
कोरबा: कम लागत, कम जगह और कम पानी में ज्यादा से ज्यादा मछली उत्पादन का नवाचार तीन चचेरे भाइयों की तिकड़ी ने किया है। बिना तालाब के बायोफ्लेक विधि से पानी की टंकी तैयार कर मछली पालन किया जा रहा। एयर ब्लोअर (पंखा) से पानी में आक्सीजन पाइप लगाया गया है। इससे मछलियों को तालाब की तरह अनुकूल वातावरण मिलता है और वजन में वृद्धि होती है। तेजी से हो रहे निर्माण कार्य की वजह से शहरी क्षेत्र हो या फिर गांव, तालाबों की संख्या घटती जा रही। ऐसे में बिना तालाब के खाली जगह पर कृत्रिम टैंक बनाकर मछली पालन के व्यवसाय का अवसर मिल जाए तो फिर क्या कहना। कुछ ऐसा ही कमाल जिला मुख्यालय से करीब 65 किमी दूर ग्राम दमिया निवासी तीन भाई विकास सिंह, गौरव और विश्वजीत ने कर दिखाया है। एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद विकास को बैंगलुरू के एक मल्टी नेशनल कंपनी में जाब भी मिल गई थी, पर वह कुछ महीने ही काम किया और अपने गृह ग्राम लौट आया। यहां बंजर पड़ी 20 डिसमिल पुस्तैनी जमीन में 30 हजार लीटर पानी की क्षमता वाली दस टंकियों का निर्माण करा मछली उत्पादन शुरू किया। चारे की लागत कम करने कुछ बचे जमीन पर ही नेपियर और एजोला लगाकर मछलियों के लिए चारा तैयार किया जा रहा। आसपास के बेरोजगार युवक भी इसे एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। विकास का कहना है कि वह जाब से भी पैसे कमा सकता था पर उसने गृहग्राम को ही कर्मभूमि के रूप में चुना, वह चाहता है कि उसके गांव के किसान परंपरागत फसलों की जगह आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करते हुए कृषि कार्य में बदलाव लाएं और उनके आमदनी में वृद्धि हो। अपशिष्ठ को बना देते हैं मछलियों का चारा विकास सिंह ने बताया कि एक टंकी में 3000 छोटी मछलिया (फिंगर लिंक) डालते हैं। दस माह में मछलियां एक- एक किलो की हो जाती हैं। इस तरह एक टंकी की तीन टन मछली उत्पादन क्षमता है। इस पद्धति से मछली पालन के लिए नियमित आक्सीजन देना आवश्यक है। पानी के खराब हो जाने पर उसे बदलने टैंक में वाल्व भी बनाया गया है। इससे मछलियों को बीमारी की समस्या नहीं होती। तेलापिया मछली की मांग अधिक होने की वजह से अभी केवल इसी प्रजाति का पालन कर रहे हैं। बाड़ी में ही लगाए गए चारे का इस्तेमाल तो करते ही हैं, साथ ही मछलियों के अपशिष्ठ व बचा हुआ चारा को बैक्टीरिया की मदद से मछलियों के खाद्य के रूप में बदल दिया जाता है। यह प्रोटीन से भरपूर होता है। मुर्गी पालन व मशरूम उत्पादन की भी योजना मछली पालन कार्य में लगे विकास सिंह गौरव और विश्वजीत लाकडाउन के दौरान जुलाई 2020 में मछली पालन का काम विकास ने शुरू किया। इन मछलियों को बिलासपुर और आसपास के बाजारों में बेच रहे हैं। उत्पादन बढ़ने से अन्य बड़े शहरों में भी आपूर्ति करने की योजना है। मछलियों को थोक के भाव में 100 से 120 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिक्री कर रहे हैं। एक साल में पांच लाख की आमदनी हुई है। अब शेष भूमि में मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन की तैयारी की जा रहे हैं। ..///..fish-production-in-the-home-tank-is-no-longer-a-need-for-a-pond-311444
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