अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है, कुछ प्रतिबंध भी है : इलाहाबाद हाईकोर्ट
10-Oct-2021 08:40 PM 1517
प्रयागराज । अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है, कुछ प्रतिबंध भी हैं। कोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी व्यक्ति को दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है। भगवान राम और भगवान कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया में अश्लील टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है। जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों और संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है। कोई ईश्वर को माने या न माने, लेकिन उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा है कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की रही है। हम ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत’ की कामना करने वाले लोग हैं। कोर्ट ने भगवान राम व कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी करने वाले आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश को दोबारा ऐसा अपराध न करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। कोर्ट ने कहा कि याची पिछले 10 महीने से जेल में बंद है। मुकदमे का ट्रायल जल्द पूरा होने की संभावना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी दाताराम केस में कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद। इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने हाथरस के आकाश जाटव की अर्जी पर 12 पेज में हिंदी भाषा में यह फैसला सुनाया है। इससे पहले भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के सुझाव का ऐतिहासिक फैसला जस्टिस शेखर यादव हिंदी में सुना चुके हैं। याची का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर अश्लील पोस्ट डाली। वह निर्दोष है। उसने यह भी तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता। सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद अपने मामा के घर गया था, जहां अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल फोन में लगाकर अश्लील पोस्ट डाली है और एफआईआर दर्ज होते ही मोबाइल फोन व सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया है। कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं। उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है। संविधान बहुत उदार है। धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है। इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह अपराध है। कोर्ट ने कहा ईद पर गोवध पर पाबंदी है। वध करना अपराध है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है। अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है। राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि अपराध है। तांडव सीरीज पर कोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति के असीमित अधिकार नहीं है। हमारे ऋषि-मुनियों ने इनसान को भगवान बनने के रास्ते दिखाए हैं। टैगोर जी ने कहा कि रामायण, महाभारत में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं। महात्मा गांधी के जीवन में भी राम का महत्व रहा है। सामाजिक समरसता रामायण से इतर कहीं नहीं दिखती। सबरी के जूठे बेर खाने से लेकर निषादराज को गले लगाने तक सामाजिक समरसता का ही संदेश दिया गया है। भगवत गीता में कर्म फल सिद्धांत का वर्णन है। आत्मा अमर है। वह कपड़े की तरह शरीर वैसे बदलती है। जैसे बछड़ा झुंड में अपनी मां को ढूंढ़ लेता है। मन शरीर का हिस्सा है। सुख दुख का अहसास शरीर को ही होता है। भगवान कृष्ण ने कहा कर्म पर ध्यान दो, फल मुझ पर छोड़ो। वसुधैव कुटुंबकम् के भाव अन्य किसी भी देश में नहीं हैं। धर्म रक्षार्थ भगवान आते हैं। धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं। भारतीय संविधान में भी भगवान राम सीता के चित्र अंकित हैं। ऐसे में राम कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी माफी योग्य नहीं है। हिन्दुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी कृष्ण भक्त रहे हैं। रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह, नजीर अकबराबादी, राम कृष्ण भक्त रहे हैं। राम कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान है। Allahabad High Court..///..freedom-of-expression-is-not-unlimited-there-are-restrictions-too-allahabad-high-court-322539
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