30-Aug-2023 07:40 PM
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नयी दिल्ली, 30 अगस्त (संवाददाता) सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी संबंधी नियमों में कुछ नये संशोधन किये हैं ताकि पिछले निर्णयों के कारण बंदरगाहों पर फंसी निर्यात की खेप दूसरे देशों के उनके विभिन्न गंतव्य के लिए आगे बढ़ायी जा सके ।
चावल निर्यातकों ने कहा है कि इस संबंध में मंगलवार को जारी अधिसूचना से उन्हें बड़ी राहत मिली है और इसके लिए उन्होंने सरकार का धन्यवाद किया है । नेशनल राइस एक्सपोर्ट फेडरेशन (आईआरईएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रेम गर्ग ने कहा कि सरकार के नये निर्णय से निर्यातकों की कुल करीब 1.5 लाख टन चावल की खेप अब निकल जाएगी जो विभिन्न बंदरगाहों पर फंसी हुई थी ।
विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी द्वारा 29 अगस्त को जारी अधिसूचना में गैर बासमती चावल पर पाबंदी के लिए 20 जुलाई, 2023 की को जारी अधिसूचना में संशोधन करते हुए नया प्रावधान यह किया गया है। इससे 20 जुलाई को पाबंदी लागू होने के दिन एक निश्चित समय के पहले तक बंदरगाहों पर पहुंच चुके माल की खेप को निर्यात के लिए अब जारी किया जा सके ।
अधिसूचना में कहा गया है कि यदि (1) - गैर-बासमती चावल की निर्यात के लिए निकली खेप 20 जुलाई, 2023 को रात 21 बजकर 57 मिनट एक सेंकेड से पहले सीमा शुल्क विभाग की कंप्यूटर प्रणाली में दर्ज हो चुकी थी या उस समय तक सीमा शुल्क केंद्र में प्रवेश कर गयी थी और उसका तिथि तथा समय सहित पुष्ट प्रमाण है तो उसका 30 अक्टूबर तक निर्यात किया जा सकता है ।
(2) ऐसे माल जिस पर पाबंदी की उस तिथि को रात 21 बज कर 57 मिनट से पहले निर्यात शुल्क का भुगतान हो चुका हो उसके निर्यात की भी छूट होगी। पाबंदी से पहले गैर बासमती चावल का निर्यात नियंत्रित करने के लिए 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा हुआ था ।
गौरतलब है कि चावल की कीमतों में तेजी को देखते हुए सरकार ने जुलाई में गैर-बासमती सफद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। सरकार ने उसके बाद एक निश्चित दर से कम भाव वाले बासमती चावल का निर्यात भी रोक दिया है क्यों कि उसने देखा था कि कुछ निर्यातक वैश्विक बाजार में तेजी का फायदा उठाते हुए बासमती के नाम पर गैर बासमती चावल बाहर भेजने लगे थे ।
डॉ गर्ग ने बासमती चावल पर लागू किए गए 1200 डालर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य को घटा कर 1000 डालर करने की मांग भी की है ।
आईआरईएफ के अध्यक्ष डॉ गर्ग ने सरकार का धन्यवाद करते हुए एक बयान में कहा, “ इस फैसले से भारत के चावल व्यापारी, चावल मिल मालिक, चावल निर्यातक, ट्रांसपोर्टर, पैकिंग सामग्री वाले, क्लियरिंग हाउस एजेंट, किसान एवं मजदूर भाई सभी को फायदा हुआ है और सबने बड़ी राहत की सांस ली है । ”
डॉ गर्ग का अनुमान है कि आगे दो-तीन महीनों के अंदर जो चावल की नयी फसल बजार में आने पर बाजार शांत होगा। उन्होंने कहा, ‘हम दोबारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के लिए सरकार का कोटि कोटि धन्यवाद करते हैं। हमें उम्मीद है कि भारत सरकार चावल के मुक्त व्यापार (निर्यात) को दोबारा से खोलेगी । हम इस बात से भी इत्तेफाक रखते कि भारत सरकार में गैर बासमती चावल का निर्यात इस लिए रोका है ताकि भारत में चावल की कमी न हो जाए और भाव न बढ़ जाएं ।...////...