हिंदी थोपना ‘जबरदस्ती का संघवाद‘: महिला किसान यूनियन
10-Apr-2022 05:40 PM 6860
चंडीगढ़, 10 अप्रैल (AGENCY) महिला किसान यूनियन की अध्यक्ष राजविंदर कौर राजू ने रविवार को कहा कि केंद्र का गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश करना ‘जबरदस्ती का संघवाद‘ है। उन्होंने यहां जारी बयान में आरोप लगाया कि भगवा दल (भारतीय जनता पार्टी) एक बहुभाषी, विविध और बहुजातीय देश में ‘हिंदी साम्राज्यवाद‘ के माध्यम से संस्कृत और हिंदी भाषा का प्रभुत्व स्थापित करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के खिलाफ एक छिपे हुए लेकिन रणनीतिक ‘सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई आतंकवाद‘ एजेंडा को लागू करने की कोशिश कर रहा है जो भविष्य में भारत जैसे राज्यों के संघ और राष्ट्रीय एकता के लिए अत्यंत घातक होगा। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से राज्य भाषा संसदीय समिति की 37वीं बैठक के दौरान गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने पर कहा कि हिंदी कभी भी देश की राष्ट्रभाषा नहीं रही है और न ही इसे संघीय ढांचे में राज्यों की तरफ से स्वीकार किया जाएगा। इसलिए, एक विविधता वाले देश में संविधान की मूल भावना के विपरीत, हिंदी को राष्ट्रभाषा और भाषा के रूप में कभी भी लोगों पर थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाबवासी हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सत्ता के बल पर गैर-हिंदी लोगों पर हिंदी और संस्कृत थोपना ‘सहयोगी संघवाद‘ के बजाय ‘मजबूर संघवाद‘ का ज़िद्दी संकेत है और लोगों के बीच आपसी अविश्वास पैदा करके विभाजन पैदा करने की एक कुटिल राजनीतिक चाल है। महिला किसान नेता ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों की अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं का अपना समृद्ध और प्राचीन इतिहास है और अतीत में इनके रचे गए साहित्य, इतिहास और धार्मिक ग्रंथों के कारण देश में महान क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। इसलिए, राज्यों के संघ से गठित एक संघीय राज्य भारत में क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है और न ही इसे लोकतंत्र में स्वीकार किया जा सकता है।...////...
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