हिंदू उत्तराधिकार कानून पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को जवाब दाखिल करने का निर्देश
05-Apr-2022 11:31 PM 4682
नयी दिल्ली, 05 अप्रैल (AGENCY) उच्चतम न्यायालय ने हिंदू उत्तराधिकार कानून में लैंगिक भेदभाव दूर करने के लिए आवश्यक निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को 4 सप्ताह में अपना लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से अगले महीने अपनी लिखित दलीलें और जवाब दाखिल करने को कहा है। पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, "केंद्र को चार सप्ताह में अपना लिखित जवाब दाखिल करना होगा। उसके बाद हम मामले की सुनवाई करेंगे।" कमल अनंत खोपकर द्वारा दायर याचिका में महिलाओं को न्याय और सम्मान सुरक्षित करने के लिए उचित दिशा देने की मांग की गई है। याचिका में सवाल किया गया है कि उत्तराधिकार कानून-956 के अधिनियम की धारा 15 में कहा गया है कि एक महिला की स्व-अर्जित संपत्ति पर उसकी मौत के बाद पहला अधिकार उसके पति का कैसे होता है। यानि पति का परिवार विरासत की पंक्ति में मृत महिला के अपने माता-पिता से भी पहले आता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 15 मृतक के (माता-पिता के समक्ष) पति को उत्तराधिकारी के तौर पर प्राथमिकता देता है। अगर कोई हिंदू महिला बिना वसीयत के मर जाती है तो उसका पति उसकी मां या पिता के लिए कोई हिस्सा छोड़े बिना उसकी सारी संपत्ति लेने का हकदार होता है।...////...
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