10-May-2022 09:38 PM
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नयी दिल्ली, 10 मई (AGENCY) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिलाने के मामले में राज्य सरकारों के साथ परामर्श करने के लिए तीन महीने की मोहलत प्रदान कर दी, जहां उनकी जनसंख्या अन्य समुदायों के मुकाबले कम है।
न्यायालय ने केंद्र से कहा कि ये ऐसे मामले हैं, जिन्हें सुलझाए जाने की जरूरत है। हर चीज पर न्यायिक निर्णय नहीं सुनाया नहीं जा सकता।
केंद्र की तरफ से पेश हुए वकील द्वारा न्यायालय से इस मामले से दूर रहने की मांग किए जाने पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ ने यह टिप्पणी की। केंद्र ने सोमवार को एक हलफनामा दायर कर कहा था कि इस मुद्दे के दूरगामी प्रभाव हैं और इसे राज्यों से परामर्श करने के लिए अधिक समय की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की गई है, जहां उनकी आबादी कम है।
श्री उपाध्याय द्वारा साल 2020 में दायर इस याचिका में कहा गया कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और इस तरह से उन्हें इन राज्यों में 2002 के टीएमए पाई फाउंडेशन के फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित सिद्धांत के अनुसार अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए।
केंद्र ने हालांकि अपने हलफनामे में इसे राष्ट्र हित के खिलाफ करार देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिए जाने की मांग की थी।...////...