01-Sep-2021 04:33 PM
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स्वाति (बदला हुआ नाम) अपने सीनियर की हरकतों से परेशान हो गई। वो उसे बार-बार अपने कैबिन में बुलाते, उसे ऐसा टास्क देते जिसे उसी दिन पूरा करना होता था। साथी कर्मचारियों के ऑफिस से चले जाने के बाद काम करने को कहते। काम में गलतियां निकालकर उसे कभी पीठ पर तो कभी कंधे पर हाथ रखकर बात करते। मना करने के बाद भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आते थे। हद पार होने पर स्वाति ने अपने ऑफिस की इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (आंतरिक परिवाद समिति) में शिकायत कर दी। तय नियम के मुताबिक कमेटी को तीन महीने में रिपोर्ट देनी थी। लेकिन चार महीने बीतने पर भी स्वाति के केस की कार्रवाई पूरी नहीं की गई। उसे अपने केस का कोई स्टेटस नहीं दिया गया। इस पर स्वाति ने राज्य महिला आयोग में शिकायत की। यह अकेला मामला नहीं है। स्वाति जैसी कई कामकाजी महिलाओं को पता ही नहीं है कि उनके साथ हो रही कार्यस्थल प्रताड़ना की शिकायत कैसे करना है
दस से अधिक कर्मचारी वाले कार्यालय में हो कमेटी
कई बार कार्यालय या काम करने के स्थान पर न सिर्फ सेक्सुअल हैरसमेंट ही नहीं बल्कि मेंटली हैरेसमेंट (मानसिक उत्पीड़न ) का सामना करना पड़ता है। क्षमता से अधिक काम कराना, गाली-गलौज और मारपीट करना, शारीरिक संबंध बनाने के लिए किसी को मजबूर करना जैसा अप्रत्यक्ष शारीरिक शोषण इस श्रेणी में आता है। ऐसे में किसी भी कंपनी या नियोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह कार्यस्थल पर सेक्सुअल-मेंटल हैरेसमेंट को रोकने के प्रबंध करे।
किसी घटना की स्थिति में कार्रवाई व निराकरण की प्रक्रिया उपलब्ध कराए। इसके लिए कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 बनाया गया है। इसके तहत दस से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यालय में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी होना जरूरी है, ताकि महिलाएं प्रताड़ना की शिकायत कर सकें। किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में कार्यरत स्थायी-अस्थायी सभी महिला कर्मियों के लिए यह कानून लागू है। इस प्रकार का व्यवहार महिला कर्मचारी के रोजगार से लेकर स्वास्थ्य तक उसे प्रभावित करता है और सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा करता है।
महिलाएं अपने अधिकार जानें
शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक उत्पीड़न का भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अधिनियम के तहत सेक्सुअल व मेंटल हैरेसमेंट में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में की गई निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं। जैसे... शारीरिक संपर्क और लाभ उठाना।
महिलाओं को जबरन परेशान करना।
महिलाओं से अश्लील बातें करना।
अश्लील फोटो दिखाना या दिखाने का प्रयास करना।
किसी दूसरे प्रकार का ऐसा व्यवहार, जो प्रत्यक्ष या संकेतों के माध्यम से मानसिक तनाव देने वाला हो।
संस्थान को कार्यस्थल पर सेक्सुअल व मेंटल हैरेसमेंट से संबंधित सभी नियमों को डिस्प्ले करना अनिवार्य है। }
संस्थान में एक आंतरिक शिकायत समिति गठित होना चाहिए। जिसमें एक महिला सदस्य होना आवश्यक है।
समिति जल्द कार्रवाई करे और महिला को जानकारी देे।
कार्रवाई से असंतुष्ट महिला आगे शिकायत कर सकती है।
कानून में क्या है प्रावधान :
यौन उत्पीड़न की शिकायत 3 महीने के भीतर निपटाना चाहिए, लेकिन विभिन्न परिस्थितियों में यह समय सीमा बढ़ाई जा सकती है। अधिनियम की धारा 26 (1) में कहा गया है कि इसके तहत कंपनी अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करती है तो उसे 50,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। जिस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत है, उसे संबंधित स्थान से हटाकर उसका स्थानांतरण अन्य जगह पर किया जाना चाहिए, ताकि व्यक्ति अपने प्रभाव की वजह से जांच को प्रभावित न कर सके।
working women..///..if-working-women-are-being-harassed-in-any-institution-then-definitely-complain-about-it-314693