इमरान की जान को खतरा: इस्लामाबाद हाईकोर्ट
18-Nov-2022 06:29 PM 4928
इस्लामाबाद 18 नवंबर (संवाददाता) इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक ने शुक्रवार को कहा कि खुफिया रिपोर्टों के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर एक और हमला होने की आशंका है। न्यायमूर्ति फारूक ने पार्टी के विरोध के कारण सड़क बंद करने के संबंध में व्यापारियों द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। इससे पहले उन्होंने याचिका पर इस्लामाबाद पुलिस के महानिरीक्षक से रिपोर्ट मांगी थी और गृह मंत्रालय को इस्लामाबाद में भय मुक्त विरोध प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया था। आज की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति फारूक ने अदालत में पेश खुफिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि श्री खान की जिंदगी को खतरा है और उन पर एक और हमले की आशंका जतायी गयी है। उन्होंने कहा, “इस मामले को देखना सरकार और राज्य की जिम्मेदारी है।” उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री एवं पाकिस्तान तहरीक -ए- इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष तीन नवंबर को पंजाब के वजीराबाद में पार्टी के लंबे मार्च का नेतृत्व करते हुए गोली लगने से घायल हो गए थे। इस घटना में पीटीआई समर्थक मोअज्जम नवाज की मौत हो गई थी, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री सहित 14 लोग घायल हुए थे। अदालत में आज सुनवाई की शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश ने पीटीआई को इस्लामाबाद प्रशासन को एक नई याचिका प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें राजधानी में धरना देने की अनुमति मांगी गई थी। उन्होंने कहा, “यदि उनकी समस्या का समाधान नहीं होता है, तो एक नई याचिका भी दायर की जा सकती है।” उन्होंने कहा कि धरना के लिए जगह आवंटित करना अदालत की जिम्मेदारी नहीं है। यह प्रशासन के विवेक पर है कि वह डी-चौक अथवा एफ-9 पार्क के लिए अनुमति देना चाहता है। न्यायमूर्ति फारूक ने कहा कि प्रशासन को विरोध के लिए नियम और कानून तय करने चाहिए। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने भी यही आदेश दिया था।” अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इस्लामाबाद में सड़कें अभी भी बंद हैं और अन्य प्रांतों की ताजा स्थिति भी मांगी है। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, “केंद्र द्वारा प्रांतीय सरकार को दिए गए निर्देशों का क्या हुआ? क्या होगा यदि प्रांत संघीय सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं।” उन्होंने कहा कि विरोध करना हर राजनीतिक और गैर-राजनीतिक दल का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन आम नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।” इसके बाद अदालत ने सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।...////...
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