21-Aug-2021 11:30 AM
4391
प्रयागराज । कुंभ-2019 में किसी ने पुण्य की डुबकी लगायी तो किसी ने बहती गंगा में हाथ धोया। कुंभ के सफल आयोजन में जहां भारी भरकम धनराशि खर्च की गयी तो वहीं कईयों ने अपनी जेबें गरम कीं। शौचालय खरीद में ही करोड़ों रुपये की अनियमितताएं सामने आई हैं। 36500 रुपये के शौचालय 42 हजार रुपये में खरीदे गए। इस वजह से 8.75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कई अन्य बिंदुओं पर भी आपत्ति उठाई गई है। स्पष्ट कहा गया है कि मानक के अनुसार भुगतान हुआ होता तो करोड़ों रुपये बचाए जा सकते थे।
प्रधान महालेखाकार बीके मोहंती ने मार्च 2019 तक जनरल एवं सोशल सेक्टर में हुए कार्यों की ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की। पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्रधान महालेखाकार ने बताया कि कुंभ के कार्यों को लेकर कोई मानक तय नहीं किया गया। श्रद्धालुओं की संभावित संख्या को देखते हुए शौचालय की व्यवस्था करने के साथ अन्य कार्य कराए गए होते तो बड़ी धनराशि बचाई जा सकती थी। इसके अलावा न्यूनतम निविदा की बजाय अधिक राशि पर शौचालय लिए गए। कुंभ में अलग-अलग तरीके के शौचालय खरीदे गए थे। फाइबर प्रबलित प्लास्टिक शौचालय 42 हजार रुपये में खरीदे गए।
उन्होंने बताया कि फाइबर प्रबलित प्लास्टिक सेप्टिक 36500 तथा फाइबर प्रबलित प्लास्टिक सोकपिट 29000 की दर से खरीदे गए होते तो 8.75 करोड़ रुपये बचाए जा सकते थे। अधिकतम निविदा पर शौचालय खरीदे जाते तब भी दो करोड़ से अधिक राशि बच जाती। ठेकेदारों को भी 1.27 करोड़ का अतिरिक्त लाभ पहुंचाया गया। कुंभ कार्यों की थर्ड पार्टी जांच कराई गई थी लेकिन जांच करने वाली एजेंसी लेखा टीम के सामने रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर सकी। कुंभ के कई अन्य कार्यों की रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं कराई गई। कुंभ के कार्यों में कई अन्य स्तर पर भी नियमों की अनदेखी तथा अनियमितता सामने आई हैं।
प्रधान महालेखाकार बीके मोहंती ने प्रेसवार्ता में बताया कि उत्तर प्रदेश के अंतर्गत 564 किमी सड़क का निर्माण होना है लेकिन 10 वर्षों में सिर्फ 132 किमी सड़क ही बन पाई है। इसमें भी कई जगहों पर वन विभाग से एनओसी नहीं मिल पाई है। इसकी वजह से बीच-बीच में सड़क का निर्माण नहीं हो सका। इसके अलावा इस मार्ग से सेना के कैंप के बीच लिंक मार्ग का निर्माण भी नहीं हो सका है। इन वजहों से यह सड़क अब तक उपयोग में नहीं आ पाई है। अब तक जमीन का अधिग्रहण भी नहीं हो सका है। इसके अलावा बिजली, टेलीफोन आदि के पोल भी नहीं हटाए गए हैं।
इस विलंब की वजह से परियोजना की लागत 550.12 करोड़ से बढ़ाकर 779.20 करोड़ रुपये कर दी गई है। भूमि अधिग्रहण का खर्च भी 173.53 करोड़ से बढ़ाकर 458.33 करोड़ रुपये कर दिया गया है। सड़क के निर्माण में 84.85 करोड़ रुपये के ब्याज रहित अग्रिम भुगतान करके ठेकेदारों को अतिरिक्त लाभ पहुंचाया गया। इतना ही नहीं, एक ही प्रकार की मशीनों की अलग-अलग कीमत तय की गई। इससे परियोजना की लागत 11.93 करोड़ रुपये बढ़ गई। ऑडिट में कई अन्य तरह की अनियमितताएं भी सामने आई हैं।
Uttar Pradesh..///..irregularities-worth-crores-happened-in-kumbh-2019-toilets-of-36500-were-bought-for-42000-312517