‘इस्पात उद्योग ने कोविड-19 के मरीजों के लिए मेडिकल आक्सीन की आपूर्ति का रचा इतिहास’
28-Dec-2021 08:14 PM 7411
नयी दिल्ली, 28 दिसंबर (AGENCY) कोविड-19 से प्रभावित चालू वित्त वर्ष में भारत के इस्पात उद्योग ने अपने कारोबार में उत्साहजनक वृद्धि दर्ज की, वहीं बड़े इस्पात संयंत्रों ने कोविड-19 के मारीजों के लिए तरल चिकित्सकीय आक्सीजन की आपूर्ति में हाथ बंटा कर जनस्वास्थ्य की रक्षा में उल्लेखनीय योगदान किया। वर्ष के दौरान इस्पात क्षेत्र के लिए उत्पादकता आधारित प्रोत्साहन योजना भी जारी की गयी। इस्पात की खपत और आपूर्ति दोनों मोर्चों पर वर्ष 2021 में देश के इस्पात बाजार का प्रदर्शन उत्साहजनक रहा लेकिन इस्पात उपभोक्ता उद्योग इस्पात की महंगाई की शिकायत करते हुए शुल्क में रियायत की मांग करते हैं। अर्थव्यवस्था के लिये एक जीवन्त स्वदेशी इस्पात उद्योग जहां बहुत जरूरी है, वहीं यह उद्योग अपने को पर्यावरण अनुकूल आर्थिक विकास को गति देने वाला उद्योग स्थापित करने के लिए री-साइकिल (पुनर्चक्रण वाली) के काम में तेजी लाने बल दे रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कच्चे इस्पात के उत्पादन में दूसरे सबसे बड़े देश भारत ने अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान 7.64 करोड़ टन कच्चे इस्पात का और 7.21 करोड़ टन परिष्कृत इस्पात का उत्पादन हुआ। कोविड-19 की दूसरी लहर और स्थानीय लॉकडाउन के बावजूद यह पिछले तीन वर्षों की समान अवधि के दौरान हुये उत्पादन से अधिक है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश की तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की जरूरतों को पूरा करने में इस्पात सेक्टर ने भरपूर योगदान किया। इस्पात संयंत्रों से एलएमओ की आपूर्ति, जो एक अप्रैल, 2021 को मात्र 538 टन थी, उसे तेजी से बढ़ाया गया और 13 मई, 2021 को वह 4749 टन तक पहुंच गई। इस्पात संयंत्रों ने अपने आसपास लगभग 5,500 बिस्तरों की क्षमता की गैस-आधारित ऑक्सीजन वाली विशाल कोविड उपचार सुविधायें स्थापित कर दीं। सरकार ने उत्पादनयुक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाः 6322 करोड़ रुपये की लागत से विशेष इस्पात के स्वदेशी उत्पादन के लिये पीएलआई योजना को मंजूरी दी है। इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों को 20 दिसंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया। इसके परिणामस्वरूप 2.5 टन की अतिरिक्त क्षमता बढ़ेगी, 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होगा और 5.25 लाख रोजगार पैदा होंगे। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-नवंबर, 2021 माह के दौरान इस्पात निर्यात 95.3 लाख टन रहा, जबकि आयात 30.6 लाख टन रहा। पिछले वर्ष की समान अवधि में निर्यात 1.08 करोड़ टन निर्यात और 47.5 लाख टन आयात हुआ था। वर्ष के दौरान इस्पात मंत्रालय ने स्वदेशी स्तर पर निर्मित लौह और इस्पात उत्पादों को प्राथमिकता देने सम्बंधी नीति (डीएमआई और एसपी नीति) को बढ़ावा देने की पहल की गयी। यह नीति आठ मई, 2017 को अधिसूचित की गयी, ताकि स्वदेशी स्तर पर उत्पादित लौह तथा इस्पात सामग्री को सरकारी खरीद में प्राथमिकता दी जा सके। इसकी मई, 2019 और 31 दिसंबर, 2020 को नीति की समीक्षा की गई। वर्ष के दौरान भारत और रूस से इस्पात मंत्रालय के बीच इस वर्ष 14 अक्टूबर को इस्पात निर्माण के लिये धातु-कर्म कोयला (कोकिंग कोल) के क्षेत्र में सहयोग के लिये समझौता किया गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्तमान वित्त वर्ष के अप्रैल-नवंबर अवधि के लिये इस्पात सम्बंधी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का कुल पूंजीगत-व्यय (सीएपीईएक्स-केपेक्स) 5781.1 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के केपैक्स से 75.7 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल-नवंबर, 2021 के लिये केपैक्स, बीई लक्ष्य का 43.5 प्रतिशत था। इस्पात मंत्रालय इस्पात कंपनियों के राष्ट्रीय अवसंरचना आसन्न परियोजनाओं (नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रोजेक्ट-एनआईपी) सम्बंधी मुद्दों को अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति (आईएमएससी) की 2021 के दौरान आईएमएससी की तीन बैठकें हुईं, जिनमें मुद्दों का समाधान करने में सहायता मिली। सरकार के ई-वाणिज्य मंच जी-ई-एमः जी-ई-एम के जरिए इस्पात सम्बंधी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा सामान और सेवाओं की खरीद वर्ष प्रति वर्ष बढ़ती रही है। अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान ऑर्डरों का मूल्य पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 4943.14 प्रतिशत अधिक रहा है। इस्पात मंत्रालय केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को देय भुगतान की स्थिति की निगरानी साप्ताहिक आधार पर कर रहा है। ऐसे भुगतान की समय-सीमा 45 दिन है, जिसके तहत वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान भुगतान का 97.4 प्रतिशत 30 दिनों में किया जा रहा है। अप्रैल-नवंबर, 2021 के दौरान इस्पात सम्बंधी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ने एमएसएमई को 3358.61 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान किये गये 2041.61 करोड़ रुपये के भुगतान से 64.5 प्रतिशत अधिक है। इस्पात मंत्रालय ने आईएनएसडीएजी, आईआईटी, सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय तथा उद्योग विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, ताकि लंबे (30 मीटर, 35 मीटर और 40 मीटर) इस्पात आधारित पुलों का डिजाइन विकसित किया जा सके। तीस मीटर वाले डिजाइन को अंतिम रूप देने के लिये विशेषज्ञ उसका मूल्यांकन कर रहे हैं। तेल और गैस सेक्टर में स्वदेशी इस्पात को प्रोत्साहन देने को रोडमैप बनाने के लिये पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से गठित समिति ने अगस्त गत में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी। आवास और निर्माण सेक्टर में इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, कौशल विकास मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय, बीआईएस, सीपीडब्लूडी, आईआईटी तथा उद्योग प्रतिनिधियों को शामिल करके एक संयुक्त कार्य समूह भी बनाया गया है।...////...
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