जागरण फिल्म फेस्टिवल का दिल्ली अध्याय संपन्न
09-Dec-2024 08:13 PM 3377
नई दिल्ली, 09 दिसंबर (वार्ता )जागरण प्रकाशन समूह की प्रमुख पहल, 12वां जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ )के दिल्ली अध्याय का सफलतापूर्वक समापन रविवार को हो गया।जागरण फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 5 से 8 दिसंबर के बीच प्रतिष्ठित सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में हुआ। इस आयोजन का उद्घाटन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण अश्विनी वैष्णव द्वारा किया गया। सभी के लिए अच्छी सिनेमा" थीम के साथ, इस फेस्टिवल ने कहानी कहने की एकता और सशक्तीकरण की शक्ति का उत्सव मनाया।फेस्टिवल के मुख्य आकर्षणों में पंकज कपूर द्वारा सिनेमा में उनके शानदार करियर पर चिंतन, स्वतंत्र भारतीय सिनेमा पर पैनल चर्चा में सुधीर मिश्रा की अंतर्दृष्टियां शामिल थीं। "भारत की महिलाएं—कहानी ताकत की" सत्र में भूमि पेडनेकर ने अपने सामाजिक रूप से प्रभावशाली किरदारों की यात्रा को उजागर किया। तास्पी पन्नू ने इंजीनियरिंग से अभिनय तक की अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की। राजपाल यादव ने दो दशकों के अपने सिनेमा अनुभव की कहानियां सुनाईं, वहीं पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार प्राप्तकर्ता डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने भी अपने विचार साझा किए।फेस्टिवल के सत्रों में "थिएटर—सिनेमा की व्याकरण" पर एक पैनल चर्चा भी शामिल थी। प्रख्यात थिएटर विशेषज्ञों केवल अरोरा, मोहित त्रिपाठी और अनसूया विद्या ने थिएटर और सिनेमा के बीच मजबूत संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि थिएटर सिर्फ सिनेमा की व्याकरण ही नहीं बल्कि उसकी वर्णमाला है, जो सिनेमा के अभिव्यक्ति की नींव बनाती है। उनकी कहानियां थिएटर जगत से असाधारण अनुभवों पर आधारित थीं, जो कलाकार की यात्रा में ईमानदारी, जुनून और समर्पण के महत्व को उजागर करती हैं। मुकेश छाबड़ा ने सच्ची अभिनय कला की अहमियत पर जोर दिया और कहा कि प्रतिभा को पहचानने में ईमानदारी और जुनून का होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शन में प्रामाणिकता और जुनून किसी भी कहानी कहने के माध्यम में सफलता की कुंजी है।फेस्टिवल में "मंथन", "नमस्ते सर", "हैप्पी", "चोर", और "क्यू काउ" जैसी विविध कहानियों को दर्शाने वाली फिल्में प्रदर्शित की गईं, जबकि "अमर डाइज टुडे" की मार्मिक कथा ने गहराई जोड़ी। "इल्हाम", "विलेज रॉकस्टार 2", "इन्वेस्टिगेटर", और "ए सन ऑफ हिमालय" जैसी कहानियों ने अद्वितीय सांस्कृतिक अनुभव को कैद किया। वहीं, हल्के-फुल्के लेकिन अर्थपूर्ण क्षण "ए सीरियल डेटर", "भूख", और "लापता लेडीज" में देखने को मिले। "सैम बहादुर" और "पिंटू" जैसे प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट्स ने अपनी छाप छोड़ी, जबकि "ऑन द ब्रिज" और "स्पार्क द चिंगारी" ने तीव्रता के नए स्तर जोड़े। ईरानी चाय और पाँचवा पराठा के बीच के दृश्य और वार्तालापों ने एक समृद्ध कहानी कहने वाले कैनवास को रेखांकित किया।जागरण फिल्म फेस्टिवल का अगला पड़ाव प्रयागराज और वाराणसी में 13 से 15 दिसंबर तक होगा।...////...
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