जमीयत ने पारित किया ‘इस्लामी फोबिया’ रोकने का प्रस्ताव, देश भर में होंगे सद्भावना सम्मेलन
28-May-2022 09:14 PM 4473
देवबंद, 28 मई (AGENCY) उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के देवबंद में इस्लामी शिक्षा के सबसे बड़े केन्द्र और सामाजिक एवं धार्मिक संगठन ‘जमीयत उलेमा ए हिंद’ ने अपने दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन के पहले दिन शनिवार काे कुछ अहम प्रस्ताव पारित किये, जिनमें इस्लाम के प्रति देश में भय का वातावरण बनने से रोकने के लिये पूरे देश में सद्भावना सम्मेलन आयोजित करने और ‘इस्लामी फोबिया’ रोकने का संकल्प व्यक्त किया गया है। जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में शुरू हुये सम्मेलन में ‘सद्भावना मंच’ का गठन करने और देश में ‘इस्लामी फोबिया’ रोकने संबंधी प्रस्ताव पारित किये गये। सम्मेलन के पहले दिन संगठन की गवर्निंग बॉडी की बैठक में पारित प्रस्ताव के मुताबिक सद्भावना मंच के गठन का मकसद देश भर में 10 हजार स्थानों पर सद्भावना संसद का आयोजन करना है। प्रस्ताव में देश के मुसलमानों से सामाजिक सद्भाव कायम रखने के लिये आह्वान करते हुए कहा गया है कि मुसलमान गौरक्षा करें, धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटायें और सार्वजनिक स्थलों का इस्तेमाल धार्मिक गतिविधियों के लिये न करें। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने न्यायालय के आदेश पर ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिये धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने और सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियां रोकने के लिये हाल ही में सफल अभियान पूरा किया है। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने सम्मेलन में पहले दिन तीन प्रस्ताव पारित किये जाने की जानकारी देते हुए बताया कि जमीयत दुर्भावना फैलाने वाले तत्वों और समूहों के असर को बेअसर करने के लिए देश भर में 10 हजार से ज्यादा स्थानों पर सद्भावना संसद का आयोजन करेगी। जिसमें सभी मजहबों की नामवर शख्सियतें शिरकत करेगी। उन्होंने कहा कि जमीयत ने मुसलमानों से अपील की है कि वे गौरक्षा का सम्मान करे। धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटायें और सार्वजनिक स्थलों का इस्तेमाल नमाज पढ़ने आदि के लिए न करें। गौरतलब है कि मदनी की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में देश भर से आये दो हजार से ज्यादा इस्लामिक विद्वानों और जमीयत के कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में पारित प्रस्तावों में विभिन्न धार्मिक संप्रदायों की साझा बैठकें आयोजित करने की बात भी कही गयी है। एक अन्य प्रस्ताव में जमीयत ने कहा कि मौजूदा सत्तारूढ दल, देश के सदियों पुराने भाइचारे की पहचान को बदलने में लगा है। देश में पनप रहे इस नए माहौल में सांझी विरासत और सामाजिक मूल्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है। जमीयत ने कहा कि आज मुसलमानों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्र में अलग-थलग करने की कोशिशें हो रही है। जमीयत, इस स्थिति को रोकने के लिये आगे आयेगी। जमीयत ने यह प्रस्ताव भी पारित किया कि सभी मजहबों, जातियों और वर्गों के बीच आपसी सद्भाव, सहनशीलता और शांतिपूर्ण सह असस्तित्व का संदेश देने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित ‘इस्लामो फोबिया’ की रोकथाम हेतु हर वर्ष 14 मार्च को अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाएगा। साथ ही नस्लवाद और धार्मिक भेदभाव मिटाने के लिए साझे प्रयास किए जायेंगे। सम्मेलन में मीडिया के एक वर्ग पर लोगों को उकसाने और भड़काने का भी आरोप लगाया गया। इसमें कहा गया है कि सरकार को ऐसी कोशिशों पर रोक लगानी चाहिए। सम्मेलन में कहा गया कि देश में मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ शत्रुता के प्रचार और माहौल से विश्व में भारत की छवि खराब हो रही है। इस स्थिति को रोका जाना चाहिये। सम्मेलन में दारूल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, शूरा के सदस्य एवं सांसद मौलाना बदरूद्दीन अजमल, पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने भी अपनी बात रखी।...////...
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