26-Jul-2025 08:47 PM
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जयपुर 26 जुलाई (संवाददाता) राजस्थान की राजधानी जयपुर में हीरापुरा बस स्टैंड से बस संचालन शुरू होने से पहले ही इसका विरोध शुरु हो गया और आल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन जयपुर की शनिवार को हड़ताल करने की घोषणा के बाद इन बसों का प्रदेशव्यापी चक्का जाम हो गया।
आल राजस्थान कांट्रेक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि हीरापुरा पावर हाउस (कमला नेहरू नगर) पर प्राइवेट बसों के जबरन स्थानांतरण के विरोध में “राजस्थान स्तर पर चक्का जाम” किया गया हैं। श्री शर्मा ने बताया कि हीरापुरा पावर हाउस पर प्राइवेट स्लीपर बसों को जबरन स्थानांतरित करने के विरोध में प्रदेशभर की सभी बस यूनियनों के सहयोग से यह चक्का जाम किया गया।
उन्होंने बताया कि आरटीओ प्रशासन की ओर से एक अगस्त से सिंधी कैंप बस स्टैंड से अजमेर रूट की सभी प्राइवेट और रोडवेज बसों को हीरापुरा शिफ्ट करने के आदेश के विरोध में एक हजार से ज्यादा स्लीपर और प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि इन सभी संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे हीरापुरा से बसें नहीं चलाएंगे।
उन्होंने बताया कि इन बसों का संचालन हीरापुरा से नहीं करने पर परिवहन विभाग ने गैर कानूनी तरीके से खड़ी बसों का चालान कर हीरापुरा बस स्टैंड से इनका संचालन शुरु करने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया गया। उन्होंने बताया कि करीब एक हजार बसों का चालान किया गया हैं जो न्यायसंगत नहीं हैं। उन्होंने बताया कि एक अगस्त तक का भी इंतजार नहीं किया गया और इससे पहले ही निजी बसों का संचालन हीरापुरा से शुरु करने का दबाव बनाने के लिए परिवहन विभाग ने इन बसों पर चालान काटने के रुप में दमनकारी नीति अपनाकर हड़ताल पर जाने को मजबूर कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि जब तक उनकी मांग पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता है तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि इस हड़ताल के तहत जयपुर से संचालित आने जाने वाली एक हजार बसों का संचालन बंद कर दिया गया हैं। आल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन जयपुर के महामंत्री प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि सिंधी कैंप से हीरापुरा की दूरी ज़्यादा होने से यात्रियों को काफी असुविधा होगी। इसके अलावा हीरापुरा में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर, वेटिंग एरिया, पार्किंग और यात्रियों के बैठने तक की सुविधा नहीं है वहीं रात में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी नहीं है। साथ ही ओला-उबर वाले एक हजार तक वसूली करेंगे। इतना तो बस किराया नहीं होता। वहीं किसी महिला यात्री के साथ छेड़छाड़ और अनहोनी हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
बस ऑपरेटर्स का कहना है कि परिवहन विभाग की यह कार्यवाही एकतरफा और बिना वैकल्पिक व्यवस्था के की जा रही है। इस निर्णय में व्यवहारिकता और संवाद की पूरी तरह अनदेखी की गई है। निजी बसों की हड़ताल से आम यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके अलावा रविवार को होने वाली लाइब्रेरियन परीक्षा के 80 हजार अभ्यर्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया है वहीं रोडवेज की मात्र 3050 बसें पूरे प्रदेश में चल रही हैं जो यात्री भार उठाने के लिए नाकाफी है।...////...