‘किसान संगठनों को सरकार के अमेरिका से व्यापार समझौते में अपने हितों का ध्यान रखने की उम्मीद
06-Jul-2025 10:24 PM 7896
नयी दिल्ली, 06 जुलाई (संवाददाता) भारतीय कृषक समाज (बीकेएस) के बैनर तले रविवार को राजधानी में आयोजित एक सम्मेलन में विभिन्न प्रांतों जुटे किसान नेताओं ने भारत और अमेरिका कृषि क्षेत्र की वस्तुस्थिति में जमीन-आसमान का फर्क बताते हुए उम्मीद जतायी कि भारत सरकार देश के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं करेगी जो भारतीय किसानों के हित के विरुद्ध होगा। अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते की वार्ता के नतीजों की घोषणा से ठीक पहले आयोहित इस सम्मेलन में नेताओं ने कहा कि भारत में कृषि, पशुपालन, मधुमक्खी पालन जैसे कार्य देश के किसानों की आजीविका के स्रोत है। भारत के किसानों को पश्चिम के किसानों के साथ खुली स्पर्धा के लिए छोड़ना भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के लिए संकट पैदा कर सकता है। वक्तओं ने अमेरिका से जीएम (कृतृम तरीके से आनुवांशिक संशोधन से उत्पन्न फसलों) के आयात को खोलेने के खतरे को भी रेखांकित किया। बीकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी, किसान नेता एवं राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय समन्वयक एवं अध्यक्ष सरदार बीमा सिंह, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय मंत्री सोमदत्त शर्मा, स्वदेशी जागरण मंच के दीपक शर्मा, बीके एस के राष्ट्रीय महासचिव हातम सिंह नागर, किसान मजदूर यूनियन के नेता वीर महेंद्र प्रकाश, बीकेएस की कश्मीर इकाई के अध्यक्ष एमवाई ज़र्गर, पश्चिम बंगाल के किसान नेता अरुण मुखर्जी, पीजेंट्स वेलफेयर एशोसिएशन के अशोक बालियान , किसान नेतान धर्मेंद्र मलिक और अन्य नेताओं ने संबोधित किया। बीकेएस अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत किसानों की कृषि जोत एक हेक्टर से कम है जबकि अमेरिका में किसानों की औसत जोत का आकार 180 हेक्टेयर है और उन्हें भारी सरकारी सहायता मिलती है। उन्होंने कहा, ‘ हमें विश्वास है कि सरकार मजबूत है, यह कोई ऐसा समझौता नहीं करेगी जो देश और देश के किसानों के हित में न हो। ” सरदार बीएम सिंह ने कहा, ‘भारत और अमेरिका के बीच अंतर इतना बड़ा है और सब्सिडी का अंतर इतना विशाल है कि वहां के साथ बराबरी का सौदा हो ही नहीं सकता।’ बीकेएस की कश्मीर इकाई के अध्यक्ष श्री ज़र्गर ने कहा, ‘हमारे फल किसी भी देश से आयातित फल से अधिक मीठे और स्वादिष्ट हैं। हमा्री खेती-बाड़ी और बागवानी हमारे माफिक चलनी चाहिए।’ उन्होंने विश्व जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश के किसानों के हित का फैसला ही करेगी। किसान नेता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि भारत में अब भी 65 प्रतिशत आबदी की रोजी रोटी कृषि पर निर्भर है जबकि अमेरिका में दो प्रतिशत लोग ही फार्मिंग में हैं। स्वदेशी जगरण मंच के श्री शर्मा, भारतीय किसान संघ के श्री सोमदत्त और किसान मजदूर यूनियन के महेंद्र प्रकाश ने भी भारत में कृषि की विशिष्ट परिस्थितियों की चर्चा करते हुए कहा कि यह हमारी जीवन संस्कृति है जबकि पश्चिम में खेती और पशुपालन को व्यापार के रूप से लिया जता और वहां के सब्सिडी प्राप्त किसानों से भारत के किसान मकाबला नहीं कर सकते। गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह सात जुलाई को 12 देशों को समझौते का पत्र भेजने जा रहे है। इन इन देशों से कहा जाएगा कि वे उसे पूरी तरह स्वीकार करें या पूरी तरह अस्वीकर करें। ट्रम्प सरकार ने समझौता करने के लिए देशों को 09 जुलाई तक का समय दे रखा है, ऐसा न होने पर देशों को अगस्त से अमेरिका में माल भेजने पर ऊंचे शुल्कों का सामना करना पड़ेगा। भारत अमेरिका के साथ द्विपीक्षीय व्यापार समझौते की बातचीत कर रहा है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है आज का भारत किसी समय सीमा की शर्त में बंध कर कोई समझौता नहीं करता, भातर आज अपनी ताकत के आधार पर बातचीत करता है। उन्होंने कहा है कि भारत के लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि है।...////...
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