कोविड के समय सार्वजनिक संवाद से आरबीआई को मिली बड़ी मदद: गवर्नर दास
13-Jun-2023 06:26 PM 7678
नयी दिल्ली, 13 जून (संवाददाता) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि कोविड19 संकट के दौरान समुचित सार्वजनिक संवाद की व्यवस्था से लोगों का भरोसा जमाए रखते हुए चुनौती से निपटने में मदद मिली तथा सार्वजनिक संवाद केंद्रीय बैंक के लिए उसकी समग्र नीतिगत कवायदों का अतिरिक्त सहारा बन गया था। श्री दास ब्रिटेन के सेंट्रल बैंकिंग संस्थान की ग्रीष्मकालीन बैठकों के अंतर्गत लंदन में “अनिश्चितताओं के समय में केंद्रीय बैंकिंग: भारत का अनुभव” विषय पर आयोजित सम्मेलन के प्रथम पूर्ण अधिवेशन में बोल रहे थे। आरबीआई द्वारा उपलब्ध कराए गए उनके संबोधन के पाठ के अनुसार गवर्नर दास ने कहा, “हमने प्रभावशाली संवाद के माध्यम से बाजार और सामान्य जन का मार्गदर्शन किया और उनमें विश्वास जगाया। संवाद की यह व्यवस्था लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को समुचति तरीके से संभाले रखने के हमारे प्रयासों का हिस्सा थी।” आरबीआई गवर्नर ने इसी संदर्भ में अप्रैल 2020 में कोविड19 महामारी के शुरू के कठिन दौर में अपने उस वक्तव्य का विशेष रूप से उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था ‘ सामाजिक दूरी के नियम ने यद्यपि हमें एक दूसरे से दूर जरूर कर दिया है, हम एक हैं और हमारा संकल्प मजबूत है। अंत: हम ठीक रहेंगे, ठीक ही करेंगे (इवेंच्युअली , वी शैल क्योर ; वी शैल एंड्योर) । उन्होंने इसी संदर्भ में 20 अगस्त 2020 का अपना वह वक्तव्य भी याद दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था, ‘इस महामारी ने एक महा-चुनौती दी है, पर हमारा साझा प्रयास, हमारे साहसिक निर्णय , हमारे नए-नए उपाय और हमारा धीरज हमें अंतत: विजयश्री प्रदान करेगा।” श्री दास ने महामारी के दौरान पैदा संकट के समय भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए तलता प्रबंधन और कर्ज सहायता के लिए किए गए नए नए प्रयोगों तथा उपायों का जिक्र भी कहा और कहा कि आरबीआई को बराबर इस बात का ध्यान था कि संकट के समय उठाए गए असाधारण कदमों को समय से वापस लेने का रास्ता भी बनाए रखना जरूरी है। दस ने कहा कि कोविड संकट के तीन कठिन वर्षोँ के दौरान आरबीआई को मोटे तौर पर जो सीखें मिली है उनमें पहला यह है कि ऐसी परिस्थितियों में ‘ सजग रहने और चपलता से काम करने से नयी उभरती परिस्थितियों से निपटने के उपाय करने का अच्छा मौका मिलता है। ’ इस संदर्भ में उन्होंने 2020 में तरलता (कर्ज के लिए सुलभ धन के प्रवाह) में नए संतुलन बिठाने के उल्लेख किए। दूसरा यह कि रिजर्व बैंक द्वारा किए गए उपाय लक्ष्यों के अनुरूप और नपे-तुले थे और रिजर्व बैंक ने ये उपाय करते समय अपने को किसी रूढ़वादी सोच में नहीं बांधा। श्री दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने ब्याज कम रखने और कर्ज सुविधा का विस्तार करते हुए भी कोलेटरल ( बंधक-सम्पत्ति) के नियमों के साथ समझौता नहीं किया और न ही तरलता को बहुत ज्यादा बढ़ने दिया। उन्होंने कहा, “हमारे दिमाग में यह बराबर बना रहा कि जो चीज आज फैलायी जा रही है उसके समय सीमा से समेटना भी है और यह समेटना इस तरह से होना चाहिए कि उससे कोई उथल-पुथल न उत्पन्न हो।” तीसरा,रिजर्व बैंक उस संकट जन्य परिस्थितियों से निपटने के लिए नए नए नीतिगत कदम उठाते समय नियमन और पर्यवेक्षण के समुचित उपाय भी करता रहा।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - mpenews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^