मुख्य पृष्ठ
देश
मध्यप्रदेश
इतिहास
रूपरेखा
मेले और त्यौहार
लोक नृत्य
लोक गीत
जानीमानी हस्तियां
संस्कृति
पर्यटन
खजुराहो
सांची
ओरछा
उज्जैन
मध्यप्रदेश क्यों
मध्यप्रदेश कैसे पहुँचे
वन
वन्य जीवन
स्कूल शिक्षा
मध्यप्रदेश गान
योजनाएं
दीनदयाल चलित अस्पताल योजना
बीमारी सहायता योजना
दीनदयाल चलित अस्पताल योजना
विक्रमादित्य निःशुल्क शिक्षा योजना
प्रतिभा किरण योजना
गांव की बेटी योजना
कपिलधारा योजना
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना
बलराम ताल योजना
खेत तालाब योजना
इंदिरा आवास योजना
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम
जननी सुरक्षा योजना
निःशुल्क सायकिल वितरण योजना
लाड़ली लक्ष्मी योजना
दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना
मुख्यमंत्री नाम की योजनाएं
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना
मुख्यमंत्री पेयजल योजना
मुख्यमंत्री आवास योजना
मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना
मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग स्व-रोजगार योजना
मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना
राष्ट्रीय योजनाएं
दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना
अटल पेंशन योजना
दीनदयाल अंत्योदय योजना
राज्य के अंग
मध्यप्रदेश के शासकीय विभाग
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय
कमिश्नर एवं कलेक्टर
मध्यप्रदेश के मंत्री एवं राज्य मंत्री
मुख्य सचिव / अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव / सचिव
मध्यप्रदेश के जिले
अब तक
मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री
भारत के राष्ट्रपति
भारत के प्रधानमंत्री
मध्यप्रदेश के राज्यपाल
रोजगार
आलेख
सम्पर्क करें
archive
मधुर संगीत से श्रोताओं को भाव विभोर किया सचिन देव वर्मन ने
Admin author
India
30-Oct-2023 06:21 PM
2239
..पुण्यतिथि 31 अक्टूबर के अवसर पर.. मुंबई 30 अक्टूबर (संवाददाता) हर दिल अजीज संगीतकार सचिन देव बर्मन का मधुर संगीत आज भी श्रोताओं को भाव विभोर करता है। सचिन देव बर्मन का जन्म 01 अक्टूबर 1906 में त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ। उनके पिता जाने-माने सितार वादक और ध्रुपद गायक थे। बचपन के दिनों से ही सचिन देव बर्मन का रूझान संगीत की ओर था और वह अपने पिता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिया करते थे। इसके साथ ही उन्होनें उस्ताद बादल खान और भीष्मदेव चट्टोपाध्याय से भी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली।अपने जीवन के शुरूआती दौर में सचिन देव बर्मन ने रेडियो से प्रसारित पूर्वोतर लोकसंगीत के कार्यक्रमो में काम किया । वर्ष 1930 तक वह लोकगायक के रूप मे अपनी पहचान बना चुके थे। बतौर गायक उन्हें वर्ष 1933 मेप्रदर्शित फिल्म यहूदी की लड़की में गाने का मौका मिला लेकिन बाद मे उस फिल्म से उनके गाये गीत को हटा दिया गया। उन्होंने 1935 मे प्रदर्शित फिल्म ..सांझेर पिदम.. में भी अपना स्वर दिया लेकिन वह पार्श्वगायक के रुप में कुछ खास पहचान नहीं बना सके। वर्ष 1944 मे संगीतकार बनने का सपना लिये सचिन देव बर्मन मुंबई आ गये जहां सबसे पहले उन्हें 1946 मे फिल्मिस्तान फिल्म ..एट डेज.. में बतौर संगीतकार काम करने का मौका मिला लेकिन इस फिल्म के जरिये वह कुछ खास पहचान नहीं बना पाये। इसके बाद 1947 में उनके संगीत से सजी फिल्म ..दो भाई.. के पार्श्वगायिका गीतादत्त के गाये गीत ..मेरा सुंदर सपना बीत गया.. की कामयाबी के बाद वह कुछ हद तक बतौर संगीतकार अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये । इसके कुछ समय बाद सचिन देव बर्मन को मायानगरी मुंबई की चकाचौंध कुछ अजीब सी लगने लगी और वह सब कुछ छोड़कर वापस कलकत्ता चले आये। हांलाकि उनका मन वहां भी नहीं लगा और वह अपने आपको मुबई आने से रोक नहीं पाये। सचिन देव बर्मन ने करीब तीन दशक के सिने करियर में लगभग नब्बे फिल्मों के लिये संगीत दिया। उनके फिल्मी सफर पर नजर डालने पर पता लगता है कि उन्होंने सबसे ज्यादा फिल्में गीतकार साहिर लुधियानवी के साथ ही की है।सबसे पहले इस जोड़ी ने 1951 में फिल्म नौजवान के गीत ..ठंडी हवाएं लहरा के आये .. के जरिये लोगों का मन मोहा। वर्ष 195। में ही गुरूदत्त की पहली निर्देशित फिल्म ..बाजी.. के गीत ..तदबीर से बिगड़ी हुयी तकदीर बना दे.. में एस.डी.बर्मन और साहिर की जोड़ी ने संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया। एस. डी. बर्मन और साहिर लुधियानवी की सुपरहिट जोड़ी फिल्म ..प्यासा.. के बाद अलग हो गयी। एस.डी.बर्मन की जोड़ी गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी के साथ भी बहुत जमी। देवानंद की फिल्मों के लिये एस.डी. बर्मन ने सदाबहार संगीत दिया और उनकी फिल्मों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। बर्मन दा के पसंदीदा निर्माता निर्देशकों में देवानंद के अलावा विमल राय. गुरूदत्त. ऋषिकेश मुखर्जी आदि प्रमुख रहे है। बर्मन दा की फिल्म जगत के किसी कलाकार या गायक के साथ शायद ही अनबन हुयी हो लेकिन 1957 में प्रदर्शित फिल्म ..पेइंग गेस्ट .. के गाने .चांद फिर निकला .. के बाद लता मंगेशकर और उन्होंने एक साथ काम करना बंद कर दिया। दोनों ने लगभग पांच वर्ष तक एक दूसरे के साथ काम नहीं किया। बाद में बर्मन दा के पुत्र आर. डी. बर्मन के कहने पर लता मंगेशकर ने बर्मन दा के संगीत निर्देशन में फिल्म बंदिनी के लिये ..मेरा गोरा अंग लइ ले .. गाना गाया।संगीत निर्देशन के अलावा बर्मन दा ने कई फिल्मों के लिये गाने भी गाये। इन फिल्मों में सुन मेरे बंधु रे सुन मेरे मितवा. मेरे साजन है उस पार बंदिनी और अल्लाह मेघ दे छाया दे. जैसे गीत आज भी श्रोताओं को भाव विभोर करते है। एस.डी.बर्मन को दो बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार से नवाजा गया है। एस. डी. बर्मन को सबसे पहले 1954 मे प्रदर्शित फिल्म टैक्सी ड्राइवर के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वर्ष 1973 मे प्रदर्शित फिल्म अभिमान के लिये भी वह सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजे गये।फिल्म मिली के संगीत ..बड़ी सूनी सूनी है.. की रिकार्डिंग के दौरान एस. डी. बर्मन अचेतन अवस्था मे चले गये। हिन्दी सिने जगत को अपने बेमिसाल संगीत से सराबोर करने वाले सचिन दा 31 अक्टूबर 1975 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।...////...
«
जरीना बहाव की वेबसीरीज पीआई मीना का ट्रेलर रिलीज
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
»
सिंघम अगेन से रणवीर सिंह का फर्स्ट लुक रिलीज
POST CATEGORY
देश
मुख्यमंत्री
जनसंपर्क मंत्री
मुख्य सचिव
नगरीय विकास
उच्च शिक्षा
स्कूल शिक्षा
पंचायत एवं ग्रामीण विकास
किसान कल्याण एवं कृषि विकास
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
ऊर्जा
जॉब अलर्ट
चर्चा में
सामान्य ज्ञान
साक्षात्कार
एडमिशन
राजस्व
चुनाव संबंधी समाचार
आलेख
© 2025 - All Rights Reserved -
mpenews
|
Hosted by SysNano Infotech
|
Version Yellow Loop 24.12.01
|
Structured Data Test
|
^
^
×
ASPX:
POST
ALIAS:
madhur-samgeet-se-shrotaaon-ko-bhaav-vibhor-kiya-sachin-dev-varaman-ne
FZF:
FZF
URL:
https://www.mpenews.com/madhur-samgeet-se-shrotaaon-ko-bhaav-vibhor-kiya-sachin-dev-varaman-ne
PAGETOP:
ERROR: