‘मोदी के कारण सनातन संस्कृति पर खुल कर विमर्श होने लगा है’: हरिवंश
18-Apr-2025 10:03 PM 1470
नयी दिल्ली 18 अप्रैल (संवाददाता) राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 के बाद भारत में सनातन संस्कृति के विमर्श में नये सृजनात्मक आयाम जोड़ कर आधुनिक तकनीकी युग में उसकी प्रासंगिकता को प्रस्थापित किया है, जिससे आज सनातन संस्कृति पर सार्वजनिक रूप से खुल कर विमर्श होने लगा है। श्री हरिवंश शुक्रवार को यहां श्री मोदी के भारतीय संस्कृति पर दिये गये 34 चुनींदा भाषणों के संकलन “संस्कृति का पांचवां अध्याय” के विमोचन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि थे, जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष पद्म भूषण डॉ. रामबहादुर राय और सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी उपस्थित थे। वरिष्ठ पत्रकार प्रभात ओझा द्वारा संकलित इस पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है। कार्यक्रम का संचालन प्रभात प्रकाशन के श्री प्रभात ने किया। श्री हरिवंश ने कहा कि हमने विकसित भारत का सपना 2014 के बाद ही देखा जो विरासत के साथ विकास के नारे पर आधारित है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी के इस सीधे सरल नारे -विरासत पर गर्व करते हुए आधुनिक विकास, का अर्थ बहुत गूढ़ और दूरगामी है। यह ग्रंथ विरासत पर गर्व की दृष्टि से एक श्रेष्ठ संकलन है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की संस्कृति के चार अध्याय को इतिहास एवं संस्कृति में एक शास्त्रीय ग्रंथ के रूप में देखा जाता है। इसके बाद 1890 के बाद से 1956 तक के कालखंड का संस्कृति का पांचवां अध्यक्ष किशोरी दास वाजपेयी ने लिखने की कोशिश की लेकिन कांग्रेस ने उसे नहीं लिखने दिया, लेकिन संस्कृति का यह पांचवां अध्याय ना सिर्फ पूूरा हुआ है, बल्कि आगे की राह भी दिखाता है। यह भारत की भावी कालजयी सांस्कृतिक यात्रा का निर्णायक प्रस्थान बिन्दु है। उन्होंने कहा कि दुनिया में आज सामाजिक राजनीतिक पुनर्संतुलन हो गया है तथा सांस्कृतिक एवं धरोहर पुनर्संतुलन की प्रक्रिया जारी है। इस दौर में प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक विरासत को लेकर कई नये सृजनात्मक आयाम जोड़े हैं तथा आधुनिक तकनीकी संसार में उसकी प्रासंगिकता का निरुपण किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इस प्रयास के कारण आज सनातन संस्कृति पर सार्वजनिक रूप से खुल कर विमर्श होने लगा है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने डॉ. रामबहादुर राय द्वारा श्री मोदी को संत हृदय प्रधानमंत्री बताये जाने का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने श्री मोदी के नैकट्य में स्वयं इस बात को अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि विश्व भर से भारत की पाण्डुलिपियों और किन्हीं कारणों से बाहर गयीं कलाकृतियां स्वदेश लायी गयीं हैं। किसी ने भी मां अन्नपूर्णा, भैरवी, घृतमातृकाओं की प्रतिमाओं की वापसी की बात की कल्पना तक नहीं की थी। उन्होंने कहा कि इस बार के महाकुंभ में आधा भारत पहुंचा। वास्तव में यह सनातन संस्कृति का पुनर्जागरण है। पद्मभूषण डाॅ. रामबहादुर राय ने कहा कि यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अब तक बने साहित्य में सर्वोपरि एवं सर्वश्रेष्ठ है। इसमें भारत के उस चमकीले कोहिनूर के दर्शन होते हैं, जो भारत की कथा साहित्य में चर्चित है। उन्होंने कहा कि यह कोहिनूर भारत की संस्कृति का है। संस्कृति को समझने में देर लगती है और कई बार पीढ़ियां लग जातीं हैं। आज विश्व धरोहर दिवस पर भारतीय संस्कृति की एक अनूठी धरोहर का लोकार्पण हो रहा है, यह एक सुयोग है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में श्री मोदी को हम एक नये रूप में पाते हैं। वह एक राजनेता प्रधानमंत्री नहीं बल्कि संत हृदय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में दिखते हैं, और यह भारत का परम सौभाग्य है। डॉ. राय ने कहा कि यह पुस्तक भारत की सांस्कृतिक यात्रा का दूसरा एवं निर्णायक प्रस्थान बिन्दु है, जो संस्कृति के गणित को भी समझाती है। उन्होंने कहा कि संस्कृति के चार अध्याय पुस्तक के प्राक्कथन में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रश्न किया था कि आखिर संस्कृति का वास्तविक अर्थ क्या है। पंडित नेहरू के उसी प्रश्न का उत्तर इस पुस्तक में निहित है। लेखक प्रभात ओझा ने बताया कि इस पुस्तक में श्री मोदी के 15 अगस्त 2015 में लालकिले से दिये गये भाषण के अलावा, केदारनाथ कॉरिडोर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक, श्री रामजन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास, उद्घाटन और आरजे शंकर नेत्र चिकित्सालय के उद्घाटन आदि अवसरों पर दिये गये 34 भाषण संकलित किये गये हैं। इस प्रकार से यह पुस्तक भारत की सांस्कृतिक यात्रा का आमंत्रण भी बन गयी है।...////...
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