21-Apr-2022 10:41 PM
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नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (AGENCY) इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को किफायती बनाने के लिए नीति आयोग ने गुरुवार को बैटरी स्वैपिंग (बैटरी अदला-बदली) नीति का मसौदा जारी किया और इसपर हितधारकों से 5 जून तक सुझाव आमंत्रित किया।
बैटरी अदला-बदली प्रक्रिया एक विकल्प है, जिसके तहत चार्ज की गई बैटरी के लिए चार्ज ख़त्म हो चुकी बैटरी को बदला जाता है। इस प्रक्रिया में वाहन और बैटरी दोनों अलग होते हैं। इस प्रकार वाहनों की अग्रिम लागत को कम हो जाती है।
बैटरी अदला-बदली लोकप्रिय रूप से 2 और 3 पहिया जैसे छोटे वाहनों के लिए उपयोग की जाती है, जिनमें छोटी बैटरी होती है और जिनका अन्य वाहनों की तुलना में अदला-बदली करना आसान होता है।
आयोग के बयान अनुसार, निजी वाहनों में दोपहिया की हिस्सेदारी 70-80 प्रतिशत है, जबकि तिपहिया वाहन शहरों में अंतिम गंतव्य तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
नीति आयोग ने फरवरी 2022 में बैटरी अदला-बदली के सन्दर्भ में एक मजबूत और व्यापक नीति की रूपरेखा तैयार करने के लिए अंतर-मंत्रालयी चर्चा का आयोजन किया था। नीति आयोग ने मसौदा तैयार करने से पहले हितधारकों के विभिन्न समूहों, जैसे बैटरी अदला-बदली संचालक, बैटरी निर्माता, वाहन ओईएम, वित्तीय संस्थान, सीएसओ, थिंक टैंक और अन्य विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा की थी।
उल्लेखनीय है कि ग्लासगो में कॉप-26 शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने कार्बन उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करने, 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक ले जाने, 2030 तक ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करने और अंत में 2070 तक शुन्य करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन का प्रमुख हिस्सा सड़क परिवहन क्षेत्र से आता है, जिसमें सूक्ष्म कणों के उत्सर्जन का एक-तिहाई हिससा शामिल होता है।...////...