05-Jan-2022 09:53 PM
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नयी दिल्ली, 05 जनवरी (AGENCY) अर्थशास्त्रियों की राय में सरकार के खजाने में इतनी आमदनी है जिससे ओमिक्रॉन के असर से लोगों को बचाया जा सकता है।
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा,“ रोजगार बचाने की जरूरत पड़ी तो राजकोष से राहत देने की गुंजाइश है।”
कोविड-19 वायरस के ओमिक्राॅन का संक्रमण बढ़ने से कई राज्यों में यातायात, होटल-रेस्त्रां और अन्य क्षेत्र में सावधानी के तौर पर रोक और नियंत्रण लगाए जाने लगे हैं। इससे चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक गति प्रभावित हो सकती है और जीडीपी वृद्धि का दहाई अंक में पहुंचना मुश्किल हो सकता है।
डॉ बी आर अम्बेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी-बेंगलूर के कुलपति आर भानुमूर्ति ने कहा कि उन्हें फिलहाल अर्थव्यवस्था के लिए किसी बड़े आर्थिक सहायता पैकेज की जरूरत नहीं दिखती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसी कुछ कल्याणकारी योजनाओं को कुछ और समय तक लागू रखने की जरूरत पड़ सकती है।
सरकार के उस बड़े अधिकारी ने कहा कि ओमिक्रॉन ने आर्थिक गतिविधियों पर असर डालना शुरू कर दिया है। कई राज्यों ने अंकुश लगाने शुरू कर दिए है। इससे चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का 10 प्रतिशत या उसके ऊपर जाना मुश्किल है।”
अधिकारी ने कहा कि लोगों की रोजी-रोटी और महामारी से जन स्वास्थ्य के खतरे के लिए राहत उपायों की जरूरत पड़ सकत है।
अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च 2002 में अर्थव्यस्था की गति तेज होने की उम्मीद की जा रही थी, पर कोरोना के नए रूप के बाद अब इस वित्त वर्ष में वृद्धि दर दहाई अंक में पहुंचना कठिन लगता है।
वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2021) में जीडीपी वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत थी। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में वृद्धि 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है लेकिन अभी गतिविधियों इतनी तीव्र नहीं है कि आर्थिक गाड़ी का पहिया अपने आवेग से बढ़ सके।
गौरतलब है कि सरकार ने 2020 में शुरू हुए कोराेना संकट के बाद ‘आत्म निर्भर भारत पैकेज’के तहत विभिन्न क्षेत्रों को अतिरिक्त कर्ज, गारंटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश का पैसा शुरू में ही देने जैसे उपाय किए। सरकार ने दावा किया कि यह पैकेज 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक (जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर है।
हाल के महीनों में आर्थिक आंकड़ों में सुधार के साथ ही कर संग्रह भी बेहतर दिख रहा है। सरकारी खजाने पर लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ताजा रपट के अनुसार नवंबर 2021 तक राजकोषीय घाटा पूरे वित्त वर्ष के अनुमानित घाटे के 46.2 प्रतिशत के बराबर था जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 135 प्रतिशत की तुलना में काफी कम है।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की वसूली तेज है।
ब्रिकवर्क रेटिंग के मुख्य आर्थिक सलाहकार गोविंद राव के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों पर कर की दर में हाल की कटौती के बावजूद राजस्व वसूली जोरदार बनी हुई है। इससे बाकी के बचे महीने में पूंजीगत खर्च बढ़ने में आसानी होगी।...////...