05-Jan-2023 10:05 PM
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नयी दिल्ली 05 जनवरी (संवाददाता) केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने गुरुवार को केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इसने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर कम ध्यान दिया है। .
श्री रेड्डी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर कम ध्यान दिया है जबकि 2014 में श्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से वह इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने 15वें वित्त आयोग (2022-23 से 2025-26) की शेष अवधि के लिए 12,882.2 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डोनर मंत्रालय की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी है।
पूर्वोत्तर में कानून व्यवस्था की स्थिति के संदर्भ में श्री रेड्डी ने कहा कि पहले पूर्वोत्तर अशांति, बमबारी, बंद आदि के लिए जाना जाता था और कई वर्षों से इस क्षेत्र में विद्रोह की समस्याएं थीं लेकिन पिछले आठ वर्षों में इस क्षेत्र में शांति स्थापित हुई है।उन्होंने कहा कि उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत तथा सुरक्षा बलों पर हमलों की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी आई है वहीं इन हमलों में नागरिकों की मौत् की घटनाएं 89 फीसदी कम हुई है। विद्रोह के मार्ग पर चल पड़े करीब 8,000 युवाओं ने आत्मसमर्पण किया है और अपने एवं परिवार के बेहतर भविष्य के लिए मुख्यधारा में शामिल हुए हैँ।
उन्होंने कहा कि सरकार क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है तथा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए हैं। कनेक्टिविटी में सुधार मुख्य फोकस रहा है। इस क्षेत्र में बजटीय आवंटन में भारी वृद्धि की गयी है। वर्ष 2014 के बाद से इस क्षेत्र के लिए चार लाख करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि हवाई संपर्क में भी व्यापक रूप से सुधार हुआ है। पहले पूर्वोत्तर में केवल नौ हवाईअड्डे थे, जो आठ साल की अवधि में बढ़कर 17 हो गये हैँ। वहीं रेल कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 2014 से अब तक 51,019 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। इसके साथ ही 7,930 करोड़ रुपये की 19 नयी परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है। जलमार्गों को पूर्वोत्तर के जीवन और संस्कृति का अभिन्न अंग बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को विकसित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। वर्ष 2014 से पहले इस क्षेत्र में केवल एक राष्ट्रीय जलमार्ग था जबकि अब 18 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं।...////...