29-Mar-2022 11:39 PM
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जयपुर, 29 मार्च (AGENCY) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्राचीन ज्ञान की आधुनिक संदर्भों में पुनर्व्याख्या करने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुये कहा है कि संस्कृति, संस्कार और विज्ञान की कार्यशालाओं के माध्यम से इन विषयों पर निरन्तर विमर्श होना चाहिए।
श्री मिश्र आज हिन्दु आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान द्वारा किशनगढ़ में आयोजित संस्कृति संस्कार विज्ञान कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा में तंत्र-मंत्र-कर्मकाण्ड की विशेष भूमिका रही है। ये वर्तमान में भी अतिप्रासंगिक है। विभिन्न आध्यात्मिक धाराओं ने उपनिषदों की आदर्शों के अनुसार व्याख्या की है।
श्री मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति समन्वय और सन्तुलन पर जोर देती है। सुरक्षा, सहयोग एवं सहिष्णुता भारतीय संस्कृति के सबसे उदार पक्ष है। समाज द्वारा लम्बे समय तक धारण किए गए मूल्य संस्कार बनते हैं। ये संस्कार अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करते है। वैदिक ऋचाएं ज्ञान, आध्यात्म एवं दार्शनिकता का चरम है। वेद विश्व के प्रथम धर्म शास्त्र है। वेदों में पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। आधुनिक विज्ञान पर्यावरण के बारे में अब चिंता कर रही है। वेद विश्व की समस्त प्राचीन संस्कृतियों का मूल आधार रहे है।
समारोह में निम्बार्कपीठ के श्याम शरण जी महाराज ने कहा कि वैदिक संस्कृति सभी को जीवन की शिक्षा देती है। भारतीय संस्कृति त्रिकाल संध्या के साथ सूर्याेदय की उपासना करने पर बल देती है। भारतीय व्यक्ति विदेशों में जाने पर अपने साथ मंदिर एवं सस्कृति भी लेकर जाते है। इससे पुरे विश्व में भारतीय संस्कृति की पहुंच हुई है। इस कार्य को आगे बढ़ाने में निम्बार्कपीठ पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी।...////...