30-Jun-2022 09:23 PM
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झांसी 30 जून (AGENCY) उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी के मंडलायुक्त डॉ़ अजयशंकर पांडेय के दिशानिर्देशन में बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत एवं ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखने एवं सम्बर्द्धित करने के लिये बड़े व्यापक पैमाने पर कार्य किया जा रहा है।
मंडलायुक्त द्वारा चलाये जा रहे सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के अभियान की गूंज ऐसे लोगों तक भी पहुंच रही है। इसी कड़ी में गुरूवार को डॉ० मधुसूदन व्यास, निवासी झांसी के परिवार से भेंट हुई, उन्होंने मण्डलायुक्त को अपने घर में संरक्षित 300 वर्ष पुरानी पाण्डुलिपियां दिखायीं।
मंडलायुक्त ने इन पाण्डुलिपियों को देखा और पुरातत्व विभाग के डा़ एस के दुबे, पुरातत्व अधिकारी, राज्य पुरातत्व विभाग, झांसी को बुलाकर इनके लाभपरक उपयोगों पर विस्तार से चर्चा की और इसके बाद मंडल के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिले में 100 वर्ष से पुरानी हस्तलिखित पाण्डुलिपियों की खोज की जाय। ऐसे पाण्डुलिपियों का संकलन सुनिश्चित किया जाय। यदि पाण्डुलिपियों को मूलरूप में हस्तगत कराने में कोई संकोच करे तो कम से कम उसकी छायाप्रतिया प्राप्त की जायें।
विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को डॉ़ पांडेय ने यह निर्देश दिये कि अटल एकता पार्क में स्थापित पुस्तकालयों में एक विंग ऐसी पाण्डुलिपियों के संग्रहण के लिए तैयार की जाय। पुरानी पाण्डुलिपियों को क्षय होने या नष्ट होने से बचाने के लिए जो वैज्ञानिक तकनीक हैं उसका इस्तेमाल करते हुए उन्हें संरक्षित किया जाय। इन पाण्डुलिपियों की विषय वस्तु का बुन्देलखण्ड विश्व विद्यालय के विषय विशेषज्ञों की टीम से अध्ययन कराकर उनके कैटलॉग तैयार कराये जाय। पाण्डुलिपियों में उल्लिखित विषय वस्तु को शामिल करते हुये शोध कार्य को बढ़ावा दिया जाय। यदि कोई अपने यहां संरक्षित पाण्डुलिपियों को रखना नहीं चाहता है तो उन पाण्डुलिपियों को संरक्षित रखने की जानकारी दी जाय। मंडलायुक्त ने पुरातत्व अधिकारी राज्य पुरातत्व विभाग को निर्देश दिये कि झांसी संग्रहालय में जो अभिलेख संरक्षित हैं उन्हें प्रदर्शन की वस्तु न बनाया जाय बल्कि उसमें उल्लिखित तथ्यों को समझकर शोध कार्य के लिए शोधार्थियों को उपलब्ध कराया जाय।
मंडलायुक्त की पहल से बुन्देलखंड के इतिहास को एक नया आयाम मिलने की संभावना है।...////...