प्रधान ने राज्यों से की सहयोगात्मक शिक्षा प्रणाली के निर्माण में मिलकर काम करने की अपील
09-Jul-2024 09:51 PM 1950
नयी दिल्ली, 09 जुलाई (संवाददाता) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के विजन का महत्वपूर्ण स्तंभ करार देते हुए राज्यों से सहयोगात्मक शिक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए मिलकर काम करने की मंगलवार को अपील की। श्री प्रधान ने आज यहां राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की समीक्षा बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए देशभर में स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप के बारे में अपने विचार साझा किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रधानमंत्री के विकसित भारत के विजन का एक प्रमुख स्तंभ है। इस दौरान उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लगभग चार वर्षों के दौरान देश में शिक्षा के इकोसिस्‍टम ने जबरदस्त प्रगति की है। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान और समावेशी पहुंच को सक्षम बनाने की कुंजी है। इस बैठक में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी, शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, अपर सचिव विपिन कुमार तथा आनंदराव वी. पाटिल, मंत्रालय के अन्य अधिकारी, कई राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिव, सचिव तथा राज्य परियोजना निदेशक एवं निदेशक, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और अन्य विभागों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भारतीय भाषाओं में शिक्षा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मातृभाषा और सभी भारतीय भाषाओं में शिक्षा के महत्व पर जोर देती है। उन्होंने एनईपी की मूल भावना अर्थात शिक्षा तक पहुंच, समानता, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा,“ भारत एक युवा देश है और हमारी चुनौती 21वीं सदी की दुनिया के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करना है, जो तेजी से बदल रही हैं, क्‍योंकि यह सदी प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित हो रही है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करें, जो जमीनी और आधुनिक दोनों ही हो।” उन्होंने समग्र दृष्टिकोण के साथ विद्यालयों में प्रौद्योगिकी तत्परता और छात्रों के बीच महत्‍वपूर्ण सोच सुनिश्चित करने के महत्व पर भी जोर दिया। श्री प्रधान ने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को शिक्षा के इकोसिस्‍टम को मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहिए। साथ ही सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को शिक्षा सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ाने के लिए एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। श्री प्रधान ने हमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी कौशल क्षमताओं को भी बढ़ाना चाहिए। श्री चौधरी ने कहा कि एनईपी 2020 सबसे महत्वाकांक्षी और प्रगतिशील नीति दस्तावेज है। आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े, आदिवासी समुदायों के छात्रों को औपचारिक शैक्षिक प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए। श्री कुमार ने कहा कि मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं जैसे समग्र शिक्षा, पीएम श्री, पीएम पोषण, उल्लास को नीति के साथ समायोजन करना होगा। बैठक के दौरान पंच-वर्षीय कार्य योजना, 100 दिवसीय कार्य योजना, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए समग्र शिक्षा के तहत बुनियादी ढांचे और नागरिक कार्यों, आईसीटी और स्मार्ट कक्षाओं की प्रगति की स्थिति की समीक्षा के साथ-साथ वीएसके और 200 चैनलों की स्थिति/स्थापना पर चर्चा, 2023-24 के लिए यूडीआईएसई+ को अंतिम रूप, सर्वोत्तम प्रथाओं, डीआईईटी, उत्कृष्टता केंद्रों के उन्नयन और स्कूलों में तंबाकू नियंत्रण और टीओएफईआई दिशानिर्देशों को लागू करने की जरूरत पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।...////...
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