19-Jul-2025 10:33 PM
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फलौदी 19 जुलाई (संवाददाता) केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राजस्थान के वैश्विक पटल पर स्वच्छ ऊर्जा के केंद्र के रूप में उभरने का उल्लेख करते हुए कहा है कि राज्य अब ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की पहचान बन गया है जहां लगभग 70 प्रतिशत बिजली क्षमता अब नवीकरणीय ऊर्जा से आती है।
श्री जोशी ने शनिवार को फलौदी जिले की बाप तहसील में ज़ेलेस्ट्रा इंडिया द्वारा विकसित 435 मेगावाट की गोरबिया सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन करने के बाद आयोजित समारोह यह बात कही। उन्होंने गोरबिया परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा “हमारे द्वारा उत्पादित प्रत्येक मेगावाट के साथ हम केवल बिजली का उत्पादन ही नहीं कर रहे हैं बल्कि एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह परियोजना नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि आठ महीने से भी कम समय में बनकर तैयार हुई गोरबिया सौर ऊर्जा परियोजना 1250 एकड़ में फैली है और भारतीय सौर ऊर्जा निगम के साथ 25 साल के विद्युत क्रय समझौते द्वारा समर्थित है। इससे सालाना 755 गीगावाट घंटे स्वच्छ बिजली पैदा होगी, जिससे लगभग 1.28 लाख घरों को बिजली मिलेगी और हर साल लगभग 7.05 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
श्री जोशी ने बताया कि राजस्थान की लगभग 70 प्रतिशत बिजली क्षमता अब नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होती है, जिसमें 35.4 गीगावाट से अधिक स्थापित क्षमताएं 29.5 गीगावाट सौर ऊर्जा से और 5.2 गीगावाट पवन ऊर्जा से हैं। उन्होंने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में राज्य की सक्रिय भूमिका की सराहना की।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना ने किसानों को भारत की ऊर्जा यात्रा में भागीदार बना दिया है क्योंकि उपयोग की गई भूमि उनसे पट्टे पर ली गई है, जिससे उन्हें स्थिर आय प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा “हमारे किसान अब केवल अन्नदाता नहीं हैं, वे अब ऊर्जा प्रदाता भी हैं।” उन्होंने कहा कि निर्माण के दौरान 700 से अधिक स्थानीय श्रमिकों को रोजगार मिला, जिससे आजीविका सृजन और कौशल विकास में योगदान मिला। श्री जोशी ने बताया कि साइट पर सबस्टेशन और 6.5 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन सहित संपूर्ण निकासी अवसंरचना केवल पांच महीनों में पूरी हो गई।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना में सर्वोत्तम प्रदर्शन बनाए रखने के लिए उन्नत सौर पैनलों (टॉपकॉन बाइफेसियल मोनो पीईआरसी मॉड्यूल) और 1300 से अधिक रोबोटिक सफाई इकाइयों का उपयोग किया गया है। श्री जोशी ने इसे विश्वस्तरीय सुविधा बताया और ऐसी तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने का आह्वान किया।
आईआईटी बॉम्बे के अपने दौरे का उल्लेख करते हुए श्री जोशी पेरोव्स्काइट टैंडम सोलर सेल्स पर चल रहे कार्य के बारे में बात की और ज़ेलेस्ट्रा तथा राजस्थान के अधिकारियों को इस अगली पीढ़ी की सौर तकनीक का उपयोग करके पायलट परियोजनाओं की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के नवाचार राजस्थान जैसे उच्च विकिरण वाले राज्यों में ऊर्जा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
उन्होंने राज्य सरकार द्वारा नीतिगत और निवेश सुधारों में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की सराहना की। राजस्थान ने एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति 2024 को अपनाया है और राजस्थान हरित हाइड्रोजन नीति को क्रियान्वित किया है। पिछले वर्ष 6.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निवेश प्रतिबद्धताओं पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिनमें नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन पर विशेष ध्यान दिया गया था।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत राजस्थान में 49 हजार से ज़्यादा रूफटॉप इंस्टॉलेशन पूरे हो चुके हैं और 325 करोड़ रुपये से ज़्यादा की सब्सिडी वितरित की जा चुकी है। उन्होंने 2.7 लाख आवेदन प्राप्त होने के मद्देनज़र, तेज़ी से कार्यान्वयन का आग्रह किया। प्रधानमंत्री-कुसुम के तहत लगभग 1.45 लाख सौर पंप लगाए जा चुके हैं।
श्री जोशी ने घोषणा की कि भारत ने 2030 की समय-सीमा से पांच साल पहले ही गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50 प्रतिशत स्थापित क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब हम संकल्प लेते हैं, तो उसे पूरा करते हैं।”
पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाओं की त्वरित स्थापना का आह्वान करते हुए, उन्होंने राजस्थान की 284 गीगावाट की अप्रयुक्त पवन ऊर्जा क्षमता का उल्लेख किया और कहा कि गोरबिया परियोजना भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक नए अध्याय की शुरुआत है।...////...