02-Jul-2023 07:55 PM
5675
नयी दिल्ली, 02 जुलाई (संवाददाता) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सहकारिता को किसानों और मजदूरों के जीवन में खुशहाली का कारक बताया है और डिजिटलीकरण के द्वारा भ्रष्टाचार को मिटा कर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
श्री बिरला ने आज यहां आयोजित 17वें भारतीय सहकारी महासम्मेलन के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए यह आह्वान किया। उन्होंने कहा , “ सहकारिता की भावना हमारे मूल स्वभाव में है, हमारे चिंतन में है, हमारे व्यवहार में है। सहकारिता का भाव हमारे राष्ट्र-नायकों की सोच में रहा है। हमारा राष्ट्रीय आंदोलन सहकारिता का एक उत्तम उदाहरण है, जिसमें हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति, क्षेत्र और समूह के व्यक्ति ने भागीदारी रही।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस आंदोलन से किसान और मजदूरों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया है। पहले जो 16 फीसदी, 18 फीसदी पर किसान को ऋण लेना पड़ता था, वही आज देश के कई राज्यों में एक से डेढ़ लाख रुपये का ऋण ज़ीरो प्रतिशत ब्याज दर पर सहकारिता के माध्यम से ही मिलना संभव हो पाया है। साथ ही किसानों को सहकारी समितियों से खाद, बीज और उर्वरक सस्ते दर पर मिल पा रहा है।
उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मिलों की स्थापना से देश में एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ, जिससे किसानों को गन्ने का उचित दाम मिलने लगा और गन्ना खरीद की एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया तैयार हुई। इस तरह सहकारिता के क्षेत्र ने किसानों के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है। मत्स्य पालन, पशुपालन, डेयरी, छोटे, लघु, कुटीर उद्योग, महिला स्वयं सहायता समूह, बुनकर सोसाइटीज़, इन सारे सेक्टरों में सहकारिता के माध्यम से बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है।
श्री बिरला ने उपभोक्ता सहकारी समितियों और आवास सहकारी समितियों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और बताया कि उन्होंने लोगों को कैसे लाभान्वित किया है। सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर आज मछली पालन करने वाले छोटे किसान भी फिश प्रोसेसिंग, फिश ड्राइंग, फिश स्टोरिंग, फिश स्टोरेज, फिश कैनिंग, फिश ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक काम संगठित ढंग से कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है, और उनका जीवन बेहतर हुआ है।
उन्होंने कहा “मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी हमारी सहकारी समितियां आज मेक इन इंडिया को साकार कर रही है। सहकारिता की हमारे देश का निर्यात बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की प्रधानमंत्री की पहल से प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है।
श्री बिरला ने आशा व्यक्त की कि सहकारिता से आर्थिक परिवर्तन का नया युग शुरू होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सहकारी समितियों को राजनीति की बजाए समाज नीति और राष्ट्रनीति का वाहक बनना चाहिए। उन्होंने इस पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ मिलकर इस क्षेत्र में नई तकनीक, अपनी दक्षता और कार्यकुशलता को बेहतर करते हुए ‘सहकार से समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने हाल में हुए सुधारों से सहकारिता के क्षेत्र में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का निवारण किये जाने का जिक्र करते हुए आशा व्यक्त की कि सहकारिता आंदोलन आत्मनिर्भर और विकसित भारत के स्वपन को साकार करेगा । उन्होंने यह आह्वान भी किया कि सहकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो।...////...