16-Apr-2025 07:44 PM
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नयी दिल्ली, 16 अप्रैल (संवाददाता) कांग्रेस ने कहा है कि काले धन को वैध बनाने को लेकर जो मामला कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा अन्य पर चलाया जा रहा है, वह राजनीति से प्रेरित है क्योंकि इसमें किसी भी स्तर पर पैसे का लेनदेन नहीं हुआ है तो फिर यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का कैसे हो सकता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब इस मामले में पैसे का लेन-देन ही नहीं हुआ है तो मनी लॉन्ड्रिंग का मामला यह कैसे बन गया। इस तरह से यह राजनीतिक रूप से की गई बदले की भावना की कार्रवाई है और यदि ऐसा नहीं होता तो यह मामला सबसे बड़ा हास्यास्पद मामलों में से एक होता।
उन्होंने कहा, “ये अजीबोगरीब केस है, जिसे मैं प्रमाणित भी करूंगा। अगर ये राजनीतिक द्वेष का उदाहरण नहीं होता तो कानूनी रूप से हास्यास्पद होता। बिना किसी पैसे या संपत्ति के ट्रांसफर हुए कैसे ये केस मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बन गया, यह कहानी कैसे शुरू हुई- देश को इस बारे में जानना जरूरी है। एजेएल जानी-मानी कंपनी है, जो दशकों पुरानी है। अर्थिक रूप से यह कंपनी सफल नहीं रही। उन वर्षों में अलग-अलग समय में कांग्रेस ने इस कंपनी को लोन दिया। ऐसे में कई दशक बाद ये रुपया कुल 90 करोड़ रुपये हो गया। ऐसे में सवाल उठा कि एजेएल का पुनर्निर्माण कैसे किया जाए, जिसमें तय हुआ कि इसे ऋण मुक्त कंपनी बनाई जाए। ऐसे में इस कंपनी के 90 करोड़ के कर्ज को यंग इंडिया नाम की कंपनी को ट्रांसफर किया गया- जो नई कंपनी थी। कर्ज कागजी रूप से ट्रांसफर हुआ, यानी जो कर्ज पहले कांग्रेस पार्टी का था, वो अब यंग इंडिया का हो गया था। उस कर्ज को खत्म करना आवश्यक था, नहीं तो एजेएल मजबूत कैसे होती, नेशनल हेराल्ड मज़बूत कैसे होता।”
प्रवक्ता ने कहा, “ऐसे में उस कर्ज को हिस्सेदारी में बदला गया। यानी एजेएल के शेयर यंग इंडिया को इश्यू हो गए, जिससे यंग इंडिया, एजेएल की 90-99 प्रतिशत शेयर होल्डर बन गई, लेकिन इसमें न पैसा ट्रांसफर हुआ, न संपत्ति। इस मामले में बहुत ही अजीब तरह के तर्क दिए जा रहे हैं, लेकिन हमने यंग इंडिया नाम की कंपनी बनाई, जो कि सेक्शन-8 के तहत बनी नॉट फॉर प्रॉफिट चैरिटेबल कंपनी थी। इस कंपनी से कितना भी प्रॉफिट बने, लेकिन एक भी पैसा आप लाभांश दे ही नहीं सकते- सेक्शन-8 के तहत ये सीधे तौर पर प्रतिबंधित है। इसके अलावा, इससे कोई सैलरी, कोई पर्क्स भी नहीं दिए और न ही कोई संपत्ति खरीदी और बेची गई। इन संपत्तियों का मालिक अभी भी एजेएल ही है, सिर्फ एजेएल की शेयर होल्डिंग अब यंग इंडिया की है और यंग इंडिया में कुछ डायरेक्टर्स है, जिनको कोई लाभांश भी नहीं मिलता- तो फिर इसमें कौन सी मनी लॉन्ड्रिंग हुई।”
श्री सिंघवी ने कहा, “मैं आज बड़ा स्पष्ट प्रश्न पूछ रहा हूं- जनता से, देश से, मीडिया से और आपके जरिए ईडी से भी कि इस केस में आरोप यह है कि शेयर होल्डिंग यंग इंडिया को देकर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। इसके अलावा, पैसा और एजेएल की संपत्तियों को डायरेक्टर्स और गांधी परिवार ने हड़प लिया है, लेकिन सवाल है कि किस डायरेक्टर्स ने कुछ खरीदा-बेचा या लिया। अगर पैसा मिला, संपत्ति गई तो मनी ट्रेल कहां है। अपराध की प्रक्रिया कहां है। जब एजेएल की संपत्ति एजेएल की है। एजेएल की संपत्ति कभी ययंग इंडिया को ट्रांसफर नहीं हुई। कानूनन जब तक यंग इंडिया, वो संपत्तियां नहीं खरीदता है, तब तक संपत्तियों का मालिकाना हक एजेएल केज पास ही रहेगा। ऐसे में यंग इंडिया के डायरेक्टर्स कहां से मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे हैं, कृपया इस बारे में कोई हमें बताए।...////...