संताल परगना में आदिवासियों की घटती आबादी की एसआईटी करे जांच : मरांडी
30-Jun-2024 10:08 PM 3243
दुमका, 30 जून (संवाददाता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने संताल परगना प्रमंडल में आदिवासियों की घटती आबादी पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार से विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर इसकी अविलंब जांच कराने की मांग की है। श्री मरांडी ने रविवार को दुमका में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि प्रमंडल में संताल आदिवासियों की आबादी लगातार घट रही है जबकि मुस्लिम समुदाय की बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और उनकी पार्टी यदि आदिवासी समाज का सच्चा हितेषी हैं तो अविलंब विशेष जांच दल (एसआईटी ) गठित कर इसकी जांच करें और इसके कारणों का खुलासा करें। प्रदेश अध्यक्ष ने हुल दिवस पर रविवार को उप राजधानी दुमका के बड़ा बांध चौक पर स्थित सिदो - कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया । इस मौके पर पूर्व मंत्री लुईस मराण्डी समेत काफी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता भी मौजूद थे । बाद में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि संताल हुल के महानायक अमर शहीद सिदो , कान्हू , चांद , भैरव , फूलो , झानो के नेतृत्व में 1855 में अंग्रेजी शासन के शोषण और अत्याचार के खिलाफ आंदोलन किया गया था । जिसमें हज़ारों लोग शहीद हुए थे । उन्होंने कहा कि संताल हुल के रणबांकुरों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। इसी आंदोलन के परिणामस्वरूप संथाल परगना क्षेत्र अस्तित्व में आया। इस क्षेत्र में रहने वाले सभी वर्ग के लोगों की जमीन और उनके हितों की रक्षा के मद्देनजर संथालपरगना टेनेंसी एक्ट (एसपीटी) एक्ट लागू किया गया। भाजपा नेता ने आगे कहा कि संताल हुल के 169 साल पर आज हम सभी संताल हुल के महानायकों के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प ले रहे हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि रक्षा कवच एसपीटी एक्ट सहित अन्य कानून रहने के बाद भी आजादी के बाद से संथाल परगना क्षेत्र से संताल आदिवासियों की आबादी लगातार घट रही है । उन्होंने कहा कि यह कोई उनकी पार्टी का आंकड़ा नहीं है बल्कि सरकार की जनगणना रिपोर्ट है । उन्होंने आंकड़े की प्रति को लहराते हुए कहा कि 1951 में संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी का प्रतिशत कुल जनसंख्या का 44.67 प्रतिशत था। लेकिन 2011 की जनगणना में यह जनसंख्या में घटकर सिर्फ 28.11 फीसदी रह गयी। वहीं, यदि तुलनात्मक रूप मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या पर गौर करें तो 1951 में यह संख्या सिर्फ नौ प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 22.73 प्रतिशत हो गई । आखिरकार ऐसा क्यों हुआ । श्री मरांडी ने आशंका जताते हुए कहा कि जिस तेजी से संथालपरगना में आदिवासियों की संख्या घट रही है। इससे जाहिर है कि अगर यही स्थिति रही तो आने वाले 25 वर्षों में जब देश अपनी आजादी का 100 वीं वर्षगांठ मनाएगा और संथाल हूल के 200 वर्ष पूरे होंगे । उस वक्त तक संथाल परगना क्षेत्र से आदिवासियों की संख्या विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाएगी । आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है , यह काफी चिंता का विषय है । यह खतरे का संकेत है । उन्होंने झारखंड सरकार से एसआईटी गठित कर इसकी जांच की मांग जिससे वास्तविक कारणों का पता चल सके ।...////...
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