26-Nov-2023 11:01 PM
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नयी दिल्ली 26 नवंबर (संवाददाता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जोर देकर कहा है कि ‘संसद लोकतंत्र की आत्मा है’ और संविधान संसद के विशेष अधिकार क्षेत्र में है।
श्री धनखड़ ने रविवार को यहां संविधान दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संसद की संप्रभुता राष्ट्र की संप्रभुता का पर्याय है और यह अभेद्य है।
संसद के विशिष्ट क्षेत्र में किसी भी घुसपैठ को असंवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र तब बेहतर रूप में होता है जब राष्ट्र के सभी अंग कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं विधायिका सद्भाव, अनुशासन तथा एकजुटता से काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान सभा का संदेश स्पष्ट था कि संसद ही संविधान की निर्माता है। संस्थागत सीमाओं का सम्मान करने का आह्वान करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि संसद उच्चतम न्यायालय पर कोई निर्णय नहीं दे सकती और इसी तरह उच्चतम न्यायालय संसद के लिए कानून नहीं बना सकता। यह संसद का क्षेत्र है।
श्री धनखड़ ने कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच टकराव की बजाय एक सहयोग होना चाहिए । इन संस्थानों के बीच मतभेदों को उत्कृष्ट कौशल के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून और संविधान की व्याख्या के लिए संवैधानिक प्रावधान एक छोटा प्रावधान है। यह संविधान नहीं हो सकता।
स्वतंत्रता के बाद के भारत के इतिहास में आपातकाल की घोषणा को ‘सबसे काला काल’ बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने इसे ‘संवैधानिक सार और भावना का अपमानजनक उल्लंघन’ और ‘संविधान का अपवित्रीकरण’ बताया। उन्होंने कहा कि संविधान को लोकतंत्र की रीढ़ है।...////...