सृष्टि की रचनाओं का संरक्षण मानव का दायित्व - मंगुभाई
20-Jan-2024 09:53 PM 3410
भोपाल, 20 जनवरी (संवाददाता) मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सृष्टि की सभी रचनाओं का संरक्षण मानव का दायित्व है। श्री पटेल ने आज यहाँ जैव विविधता बोर्ड और सोसायटी फॉर नेचुरल हीलर्स कंजर्वेटर्स एण्ड टूरिज्म डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित लैसर नॉन स्पीशीज ऑफ मध्यप्रदेश के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित किया।इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सृष्टि की सभी रचनाओं का संरक्षण मानव का दायित्व है। इसके निर्वहन के लिए ही प्रकृति ने मानव को मानसिक, शारीरिक शक्तियाँ, करुणा, दया और संवेदनशीलता के भाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को जैव विविधता के महत्व, उपयोगिता और मानव की भूमिका के संबंध में संवेदनशील बनाया जाए। इसके लिए अध्ययन यात्राएं और अन्य जनजागृति के कार्यक्रम व्यापक स्तर पर आयोजित किये जायें। उन्होंने कहा कि मानव ने प्रकृति के साथ खिलवाड़ में किया है। वर्तमान पर्यावरणीय समस्याएं ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज, वायु और जल प्रदूषण इसी का नतीजा हैं। उन्होंने कहा कि यह समझना जरूरी है कि सृष्टि की संरचना में प्रत्येक जीव की महत्ता है। प्रकृति के सबसे शक्तिशाली जीव होने के कारण मानव का दायित्व है कि वह अपने आनंद के लिए दूसरों के हितों की अनदेखी नहीं करें। मानव को अपने पराक्रम का उपयोग प्रकृति के संरक्षण में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रकृति को बनाए रखने में जैव विविधता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। ईको सिस्टम में हर प्रजाति कोई न कोई क्रिया करती है। बिना कारण न तो वह विकसित हो सकती है और न ही बनी रह सकती है। प्रत्येक जीव-जन्तु ऊर्जा प्राप्त और संग्रहित करता है। कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न और विघटित करता है। इस तरह ईको सिस्टम में जल, पोषक तत्वों के चक्रों को बनाए रखकर, अपनी जरूरतें पूरी कर, दूसरे जीवों के पनपने में भी सहयोगी होता हैं। ईको सिस्टम में जितनी अधिक विविधता होगी, प्रजातियों की प्रतिकूल स्थितियों में भी बने रहने की संभावना और उनकी उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होगी। राज्यपाल ने कहा कि मानव जाति के लिए प्रजातियों की प्राकृतिक विविधता को बनाए रखना, सोशली, इकोनॉमिकली और इकोलॉजिकली सभी दृष्टियों से फायदेमंद है। इसलिए जरूरी है कि प्रजातियों की विलुप्ति के प्राकृतिक घटकों यथा प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु और भूवैज्ञानिक परिवर्तनों से होने वाले अलगाव अथवा स्थान परिवर्तन आदि की चुनौतियों के समाधान खोजे जाएं। उन्होंने कहा कि जैव विविधता की इन चुनौतियों के अध्ययन के साथ ही हमें प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता को भी विस्तार से समझना चाहिए। कॉन्फ्रेंस में विलुप्त प्राय जीव जंतुओं के अस्तित्व को बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रजातियों के नमूनों और उनके अनुवांशिक डेटा के एक्सचेंज की व्यवस्थाओं पर भी चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि कांफ्रेंस का चिंतन अंतिम कड़ी तक पहुंचे, इसके लिए सभी को मिल कर प्रयास भी करना चाहिए।...////...
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