06-May-2025 11:57 PM
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नई दिल्ली, 06 मई (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों से चले आ रहे सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर विवाद पर मंगलवार को कहा कि जमीनी हकीकत पर विचार करना होगा, क्योंकि इस मुद्दे का समाधान सिर्फ कानून के आधार पर नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अपने हिस्से का नहर निर्माण करने के मामले में शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करने से पंजाब सरकार के इनकार करने के तथ्यों पर गौर करते हुए ये टिप्पणियां कीं।
हरियाणा सरकार के वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने दलील दी कि शीर्ष अदालत के 2002 के उस आदेश को लागू किया जाना चाहिए, जिसमें पंजाब को एसवाईएल नहर के अपने हिस्से का निर्माण करने की आवश्यकता बताई गई है।
इस पर अदालत ने कहा कि जमीनी हकीकत पर विचार करना होगा और इन मामलों को सिर्फ कानून के आधार पर तय नहीं किया जा सकता।
पीठ ने कहा, “यह दो भाइयों के बीच कागजी डिक्री की तरह नहीं है कि जमीन का आधा-आधा हिस्सा उन्हें आवंटित किया जाना है... जमीनी हकीकत... पिछले कई सालों से पंजाब में क्या स्थिति थी।”
श्री दीवान ने तर्क दिया कि लोगों को अदालत के आदेशों का पालन करना होगा और ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि डिक्री के बाद राज्य (पंजाब) एकतरफा तरीके से डिक्री को पलट दें। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि पंजाब ने कानून को अपने हाथ में ले लिया है। उसने बहुत गलत संदेश दिया। उन्होंने अदालत से मामले का फैसला करने का अनुरोध किया। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ के समक्ष कहा कि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं।
पीठ ने पंजाब से कहा, “उन्होंने (हरियाणा) अपना कर्तव्य निभाया और 100 किलोमीटर नहर का निर्माण किया, लेकिन पंजाब ने 90 किलोमीटर नहर का निर्माण नहीं किया।”
शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार से पूछा कि क्या यह मनमानी नहीं है कि नहर निर्माण के लिए आदेश पारित होने के बाद नहर निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई भूमि को गैर अधिसूचित कर दिया गया।
पीठ ने पंजाब की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा कि यह अदालत के आदेश को विफल करने का प्रयास है।
इस पर पंजाब सरकार के वकील श्री सिंह ने तर्क दिया कि यह जनता के साथ एक भावनात्मक मुद्दा है और वैकल्पिक उपायों की तलाश करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “पंजाब एक सीमावर्ती राज्य होने के नाते इस मुद्दे पर इस अशांति को बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह उतना सरल नहीं है, जितना हरियाणा बताने की कोशिश कर रहा है।”
पीठ ने दलीलें सुनने के बाद पंजाब और हरियाणा को एसवाईएल नहर विवाद पर सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने में केंद्र के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि विवाद का हल नहीं निकला, तो वह 13 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी।...////...