सीतारमण की मेघालय में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, किसानों से मुलाकात
12-Jul-2025 09:59 PM 7491
लैट्किन्सेव (मेघालय) 12 जुलाई (संवाददाता) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के लैट्किन्सेव गांव का दौरा किया और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), लखपति दीदियों तथा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से बातचीत की। मेघालय की राजधानी शिलांग से लगभग 51 किलोमीटर दूर लैट्किन्सेव गांव अपने जीवित जड़ पुलों के लिए जाना जाता है। लगभग 53 फीट लंबा और सौ साल से भी ज़्यादा पुराना यह उम्नोई जड़ पुल, जिसे स्थानीय रूप से 'जिंगकिएंग देइंगजरी' के नाम से जाना जाता है, दुनिया भर से हज़ारों पर्यटकों के हर साल इस गांव में आने का मुख्य कारण है। लैट्किन्सेव गांव में कदम रखने वाली पहली केंद्रीय मंत्री श्रीमती सीतारमण ने राज्य भर में केंद्रीय और राज्य योजनाओं को लागू करने में मेघालय सरकार के समर्पित प्रयासों की गहरी सराहना की। उन्होंने 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन को साकार करने के लिए समावेशी विकास और जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण के महत्व पर ज़ोर दिया। वित्त मंत्री के दौरे के दौरान मेघालय की कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री डॉ. माज़ेल अम्पारीन लिंगदोह भी मौजूद थीं। राज्य सरकार के गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए धन्यवाद देते हुए वित्त मंत्री ने कहा “ वह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की योजनाओं को इस खूबसूरत राज्य के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए किए जा रहे उल्लेखनीय प्रयासों की गहरी यादें लेकर जा रही हैं।” री-भोई जिले की अपनी यात्रा और शिलांग में अपने कार्यक्रमों पर विचार करते हुए श्रीमती सीतारमण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे मेघालय की विकास यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण की भावना को दर्शाती है। वित्त मंत्री ने कहा “ अगर हम सचमुच सबका विकास में विश्वास करते हैं, तो विकास सभी तक पहुंचना चाहिए - पुरुष और महिला, गांव और शहर, युवा और बुजुर्ग, अमीर और गरीब, सभी तक। समावेशी विकास प्रत्येक नागरिक को अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने और सम्मानजनक आजीविका सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाना चाहिए।” स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति की सराहना करते हुए विशेष रूप से मेघालय में मातृ मृत्यु दर में गिरावट को जमीनी स्तर पर बदलाव का एक मजबूत संकेतक बताते हुए श्रीमती सीतारमण ने इस बदलाव को लाने में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका पर ज़ोर दिया। 2014 से, ऋण, प्रशिक्षण, ब्रांडिंग सहायता और बाज़ार संपर्कों तक पहुंच में सुधार करके महिला समूहों को समर्थन देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लखपति दीदी पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाएं सालाना एक लाख रुपये की स्थायी आय अर्जित करें, वित्त मंत्री ने कहा “जब आपकी अपनी कोई महिला सफलता प्राप्त करती है, तो प्रेरणा बनती है। प्रधानमंत्री की लखपति दीदी पहल ने देश भर की महिलाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया है।” 2030 तक मेघालय को 30 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की उसकी महत्वाकांक्षा में सहयोग देने की केंद्र की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, जो भारत के व्यापक विकास रोडमैप के अनुरूप है श्रीमती सीतारमण ने कहा “इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, प्रत्येक गांव को योगदान देना होगा। यदि मेघालय इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है, तो यह 2047 तक एक विकसित देश बनने के राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए एक आदर्श और उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा।” पूर्वोत्तर पर केंद्र के निरंतर ध्यान को उजागर करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्रीय मंत्री महीने में कम से कम एक बार इस क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नीतिगत समर्थन और निगरानी उच्चतम स्तर पर जारी रहे। श्रीमती सीतारमण ने केंद्र और मेघालय के बीच मज़बूत साझेदारी की पुष्टि करते हुए कहा “ प्रधानमंत्री मोदी के मज़बूत समर्थन से, हम इन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मेघालय सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” केंद्रीय मंत्री के साथ बातचीत के दौरान जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण इयेंग रसोंग स्वयं सहायता समूह की लाहुन मैरी ब्लाह से मिला जिन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने कपड़े बेचने के लिए 4,000 रुपये के ऋण से शुरुआत की और धीरे-धीरे अपने व्यवसाय का विस्तार किया। समय के साथ उन्होंने और भी ऋण प्राप्त किए जिसमें कपड़ों की दुकान शुरू करने के लिए 10,000 रुपये का नकद ऋण और 2025 में सीएलएफ से 1 लाख रुपये का सामुदायिक निवेश कोष (सीआईएफ) ऋण शामिल है, जिससे वह एक चाय की दुकान और फूलों की दुकान खोल सकीं। मैरी ने बताया कि उनके उद्यमों ने न केवल उनकी आय में वृद्धि की बल्कि स्थानीय रोज़गार के अवसर भी पैदा किए। उनकी वार्षिक आय 20,000 रुपये से बढ़कर 3.4 लाख रुपये हो गई है और उनके स्वयं सहायता समूह में 4,080 रुपये से अधिक की व्यक्तिगत बचत है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा ने आर्थिक लाभ से कहीं ज़्यादा उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है ,जिसने उन्हें एक गृहिणी से एक व्यवसायी और एक परिवर्तनकारी महिला बनने में मदद की है। उन्होंने मेघालय राज्य ग्रामीण आजीविका सोसाइटी (एमएसआरएलएस) और उनके सफ़र में सहयोग देने वाले अन्य लोगों का आभार व्यक्त किया और आशा व्यक्त की कि उनकी कहानी और अधिक महिलाओं को खुद पर विश्वास करने और सफलता की ओर पहला कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी।...////...
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